आज के इस पोस्ट के जरिये जानेगे रासायनिक आबंध क्या होता है What Is Chemical Bonding In Hindi, इसकी परिभाषा, प्रकार, विशेषता, और इसे उदाहरण सहित जानेगे | क्या है. तथा साथ मे आयन ( Ion ), संयोजकता (Valency in Hindi), सहसंयोजकता (Covalency in Hindi), सहसंयोजक यौगिकों के गुण (Properties Of Covalent Compounds In Hindi) को भी जानेगे।
रासायनिक आबंध क्या होता है
What Is Chemical Bonding In Hindi
किसी अणु में दो या दो से अधिक परमाणु जिस बल के द्वारा एक दूसरे से बंधे होते हैं उसे रासायनिक आबन्ध (Chemical Bonding) कहते हैं। ये आबन्ध रासायनिक संयोग के बाद बनते हैं तथा परमाणु अपने से सबसे पास वाली निष्क्रिय गैस का इलेक्ट्रान विन्यास प्राप्त कर लेते हैं।
दूसरे शब्दों में, रासायनिक आबन्ध वह परिघटना है जिसमें दो या दो से अधिक अणु या परमाणु एक दूसरे से आकर्षित होकर और जुड़कर एक नया अणु या आयन बनाते हैं (एक विशेष प्रकार के बन्धन ‘धात्विक बन्धन’ में यह प्रक्रिया भिन्न होती है)। यह प्रक्रिया सूक्ष्म स्तर पर होती है, लेकिन इसके परिणाम का स्थूल रूप में अवलोकन किया जा सकता है, क्योंकि यही प्रक्रिया अनेकानेक अणुओं और परमाणुओं के साथ होती है। गैस में ये नये अणु स्वतन्त्र रूप से मौजू़द रहते हैं, द्रव में अणु या आयन ढीले तौर पर जुडे रहते हैं और ठोस में ये एक आवर्ती (दुहराव वाले) ढाँचे में एक दूसरे से स्थिरता से जुडे रहते हैं।
यानि यौगिक में परमाणु तथा पदार्थ में अणु को आपस में बांधे रखने के लिए जो कारक अथवा बल उत्तरदायी होते हैं, बंध (Bonds) कहलाते हैं तथा यह प्रक्रिया बंधन (Bonding) कहलाती है।
पॉलिंग के अनुसार,” एक रासायनिक बंध दो परमाणुओं के बीच लगने वाला वह बंधन बल है जिसकी शक्ति के कारण बना परमाणुओं का झुंड इतना स्थायी होता है कि वह स्वतंत्र इकाई (अणु) माना जा सके” सरल अर्थों में अणु में उपस्थित परमाणुओं के बीच लगने वाला आकर्षण बल बंध कहलाता है तथा किसी अणु मे परमाणु जितने रासायनिक बंध बनाता है वह उसकी संयोजकता (valancy) कहलाती है।
रासायनिक आबंध के प्रकार
Types Of Chemical Bonds in Hindi
Chemical Bond तीन प्रकार के होते होते हैं, जो की इस प्रकार है –
- विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond in Hindi)
- सहसंयोजक बंध ( Covalent bond in Hindi)
- उप सहसंयोजक बंध (Co-ordinate bond in Hindi)
विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond in Hindi)
दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन की स्थांतरण से बने बंध को electrovalent bond कहते हैं। यह विद्युत संयोजक बंधन और ऋण आवेश से बने होते हैं, द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होता है, विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते हैं, ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होते हैं विद्युत संयोजक बंध दिशाहीन होते हैं, जल में घुलनशील होते हैं, परंतु कार्बनिक घोल में अघुलनशील होते हैं तथा बहुत ही तेजी से रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं।
सहसंयोजक बंध (Covalent bond in Hindi)
ऐसा रसायनिक बंधन जिनका निर्माण दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के साझेदारी के कारण होता है उन्हें co-valent bond कहते हैं। जब दो परमाणुओं के बीच परमाणुओं के बीच विद्युत ऋनात्मकता क्या अंतर काफी कम या शून्य हो तो इस प्रकार के बंध का निर्माण होता है। जल अमोनिया तथा मीथेन के परमाणु सहसंयोजक बंध से जुड़े होते हैं, इन तीनों का यौगिक बंधन कोण 105°, 109° तथा 109.28° होता है।
सहसंयोजक बंध के प्रकार (Type of Covalent bond in Hindi)
सहसंयोजक बंध चार प्रकार के होते हैं–
(I) एकल सहसंयोजक बंध (Single covalent bond in Hindi)
जब दो परमाणुओं के बीच एकल जोड़ा इलेक्ट्रॉन सझा हो तो उन्हें एकल सह संयोजक बंध कहते हैं जैसे- हाइड्रोजन अनु का बनना।
(II) द्वि सहसंयोजी बंध (Dual covalent bond in Hindi)
जब दो इलेक्ट्रॉन की साझीदारी हो तो द्वि सहसंयोजी बंध बनता है जैसे ऑक्सीजन अनु का बनना।
(III) त्रिक सहसंयोजक बंध (Triple covalent bond in Hindi)
जब 3 इलेक्ट्रॉन की साझेदारी हो तो ट्रिपल इलेक्ट्रो बांड कहते हैं जैसे नाइट्रोजन अणु का बनना।
(IV) ध्रुवीय सहसंयोजक बंध (Polar covalent bond in Hindi)
ध्रुवीय सहसंयोजक बंध में असामान परमाणु के बीच बंध का निर्माण होता है।
सहसंयोजक बंध कमजोर बंध होने के कारण द्रावनांक और क्वथनांक निम्न होते हैं जल में अघुलनशील और कार्बनिक घोल में घुलनशील होते है। सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) में विद्युत एवं सहसंयोजक बंध उपस्थित होते हैं।
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उप सहसंयोजक बंध (Co-ordinate bond in Hindi)
एक ही परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन युग्म की साझेदारी से जो बंद बनता है उन्हें हम उपसहसंयोजक बंध कहते हैं।
जो परमाणु इलेक्ट्रॉन को देता है उन्हें हम दाता और जो ग्रहण करता है उन्हें ग्राही कहते हैं।
अक्रिय गैसें ऑर्गन, निऑन, रेडॉन और क्रिप्टन के परमाणु के बह्यतम कक्षा में इलेक्ट्रॉन की संख्या 8 होते है जबकि अपवाद स्वरुप हीलियम में सिर्फ 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अक्रिय गैस की प्रवृत्ति अस्थाई होती है। रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं और ना ही बंधन बनाते हैं।
कोई भी परमाणु अक्रिय गैस की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तीन प्रकार से प्राप्त कर सकता है–
इलेक्ट्रॉन त्याग कर
इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर
इलेक्ट्रॉन को साझा कर
आयन ( Ion )
परमाणु का समूह जिनमें आवेश हो आयन (ion) कहलाता है। आयन दो प्रकार के होते हैं।
- धन आयन
धनायन में इलेक्ट्रॉन का त्याग त्याग तथा ऋण आयन में इलेक्ट्रॉन का ग्रहण होता है। धन आयन धातु से बने होते हैं, धनायन का आकार इनके परमाणु से छोटा होता है
- ऋण आयन
ऋण आयन अधातु से बने होते हैं और इनका आकार परमाणु से बड़ा होता है। धातु तत्व के परमाणु को विद्युत धनात्मक तत्व और अधातु तत्व के परमाणुओं को विद्युत ऋणात्मक तत्व कहते हैं।
संयोजकता
Valency in Hindi
संयोजकता शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द valentia से हुई है, जिसका अर्थ है- क्षमता। तत्वों के परमाणुओं के परस्पर संयोजन करने की क्षमता को ही संयोजकता कहते हैं। दूसरे शब्दों में, अपने निकटस्थ अक्रिय गैस की तरह इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था प्राप्त करने में किसी परमाणु द्वारा त्यक्त या ग्रहित इलेक्ट्रॉनों की कुल संख्या को उस परमाणु की संयोजकता कहते है। किसी तत्व की संयोजकता उसके परमाणु की बाह्यतम कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए- सोडियम परमाणु एक इलेक्ट्रॉन का त्यागकर अक्रिय गैस निऑन जैसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था प्राप्त करता है।
Na (2, 8, 1) Na+ (2, 8)
अतः सोडियम (Na) की संयोजकता 1 होती है। इसी प्रकार क्लोरीन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर अक्रिय गैस ऑर्गन जैसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था प्राप्त करता है।
Cl (2, 8, 7) Cl+ (2, 8, 8)
अतः क्लोरीन की संयोजकता 1 होती है।
सहसंयोजकता
Covalency in Hindi
किसी सहसंयोजक यौगिक में एक परमाणु की सहसंयोजकता इलेक्ट्रॉनों की वह संख्या है, जिसे वह परमाणु साझेदारी में भाग लेने के लिए, प्रदान करता है। उदाहराण के लिए, H2 (H - H) में हाइड्रोजन की सह-संयोजकता 1, O2, (O=O) में ऑक्सीजन की सह-संयोजकता 2, N2 (N ≡ N) में नाइट्रोजन की सह संयोजकता 3, CH4 में कार्बन की सहसंयोजकता 4 होती है।
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सहसंयोजक यौगिकों के गुण
Properties Of Covalent Compounds In Hindi
दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फलवस्वरूप बने रासायनिक यौगिक की सहसंयोजक यौगिक कहते हैं। सहसंयोजक यौगक के निम्नलिखित गुण होते हैं-
- अधिकांश सहसंयोजक यौगिक साधारण अवस्था में गए या द्रव या वाष्पशील ठोस होते हैं।
- सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं, इसका कारण यह है कि इनमें अन्तराण्विक बल वैद्युत संयोजक यौगिकों के स्थिर वैद्युत आकर्षण बल की अपेक्षा बहुत कमजोर होते हैं।
- सहसंयोजक यौगिक जल में प्रायः अविलेय, परन्तु कार्बनिक विलायकों में विले होते हैं।
- सहसंयोजक यौगिक द्रवित अवस्था या विलयन की अवस्था में विद्युत् के कुचालक होते हैं, क्योंकि इन अवस्थाओं में ये आयन उत्पन्न नहीं करते हैं। किन्तु HCl और NH3 के जलीय विलयन विद्युत् के सुचालक होते हैं, क्योंकि इन विलयनों में आयन उपस्थित होते हैं।
- सहसंयोजक यौगिकों के साथ अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे-धीरे होती हैं।
- सहसंयोजक यौगिक अणुओं के रूप में रहते हैं।
तो आपको यह पोस्ट रासायनिक आबंध क्या होता है What Is Chemical Bonding In Hindi, इसकी परिभाषा, प्रकार, विशेषता, और इसे उदाहरण सहित जानेगे | क्या है. तथा साथ मे आयन ( Ion ), संयोजकता (Valency in Hindi), सहसंयोजकता (Covalency in Hindi), सहसंयोजक यौगिकों के गुण (Properties Of Covalent Compounds In Hindi) की जानकारी कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे…
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