आज के इस पोस्ट मे महाराणा प्रताप का इतिहास जीवन परिचय History of Maharana Pratap in Hindi के बारे मे जानेगे। 

इतिहास में त्याग, पराक्रम, निरंतर संघर्ष, दृढ़ता के लिए जिस वीर पुरुष को  हमेशा याद किया जाता है, जब भी बात भारतीय इतिहास में वीर योद्धाओ और शासको  का नाम आता है, तो उनमे महाराणा प्रताप 

वीरभूमि राजस्थान का एक-एक अंग वीरत्व के अनगिन उदाहरणों का साक्षी है पर  उसका मेवाड़ क्षेत्र तो अपनी वीरता, धीरता, मातृभूमि-प्रेम, शरणागत वत्सलता  एवं अडिगता में अपना कोई सानी नहीं रखता। 

तो चलिये यहा महाराणा प्रताप का इतिहास जीवन परिचय हल्दीघाठी युद्ध  और मृत्यु History of Maharana Pratap in Hindi Biography Jeevan Parichay  Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Wife Children, Fight, Death जानेगे. 

ऐसी देशभक्ति और वीरता से कुटकुट भरी मेवाड़ धरा पर स्वतन्त्रता प्रेमी और महान नायक महाराणा प्रताप का जन्म भूमि रही हैं.  

“जो दृढ राखे धर्म को, तीखी राखे करतार.” यह शोर्य भूमि मेवाड़ का ध्येय वाक्य है. जिस पर महाराणा प्रताप मरते दम तक अटूट रहे. 

उनके उपनामों से ही महाराणा प्रताप की महानता का अंदाजा लगाया जा सकता है. मेवाड़ को इतिहास में शोर्य भूमि कहा जाता है. 

यह कई वीर योद्धाओं की जन्म एव कर्म भूमि रही है. सिसोदिया वंशज महाराणा  प्रताप भी उनमे से एक थे. महाराणा प्रताप का इतिहास, मेवाड़ धरोहर की गौरव  गाथा है.  

महाराणा प्रताप के नाम से भारतीय इतिहास गुंजायमान हैं. यह एक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने मुगुलों को छटी का दूध याद दिला दिया था. 

इनकी वीरता की कथा से भारत की भूमि गोरवान्वित हैं. ऐसे स्वाधीनता प्रेमी,  योद्धाओं के योद्धा, भारत का वीर पुत्र, मेवाड़ केसरी, हिंदुआ सूरज, चेतक की  सवारी, हिन्दुपति वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन परिचय प्रस्तुत करते  है. 

महाराणा प्रताप एक ऐसे महान योद्धा व पराक्रमी शासक थे जिनके चर्चे आपने  जरूर सुने होंगे. महाराणा प्रताप मेवाड़ के सबसे शक्तिशाली राजा थे.  

जो उदयपुर (मेवाड) में सिसोदिया राजपूत राजवंश के शासक हुए थे. वीर योद्धा  महाराणा प्रताप का पूरा नाम “महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया” है. 

उन्होंने अपने जीवनकाल में लम्बे समय तक युद्ध किया और कई बार उन युद्धों में मुगल सेना से पराजित भी हुए लेकिन कभी हार नहीं मानी.  

उन्होंने जंगलों में रहना पसंद किया और घास फूँस खाकर अपना पेट भरा पर मुग़ल बादशाह अकबर की अधिनता (गुलामी) स्वीकार नहीं की.