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सांख्यिकी क्या है अर्थ परिभाषा प्रकार विशेषताएं महत्व तथा उपयोगिता | Meaning Definition Types of Statistics in Hindi

आज के इस पोस्ट के जरिये जानेगे की जर्मनी विद्वान एवं गणितिज्ञ गाटफ्रायड एचेनवाला द्वारा निर्धारित सांख्यिकी क्या है? अर्थ, परिभाषा, प्रकार What is Statistics in Hindi? Meaning, Definition, Types क्या है. तथा साथ मे सांख्यिकी की विशेषताएं, महत्व तथा उपयोगिता (Features, Importance and Utility of Statistics in Hindi) को भी जानेगे।

सांख्यिकी सिद्धांतों को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करने का श्रेय जर्मनी विद्वान एवं गणितिज्ञ गाटफ्रायड एचेनवाला को हैं। इन्होंने सन् 1749 मे सांख्यिकी की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत की थी। सांख्यिकी का जनक गाटफ्रायड ऐचेनवाला को कहा जाता हैं। इस लेख मे हम सांख्यिकी क्या हैं? सांख्यिकी का अर्थ, परिभाषा, सांख्यिकी का महत्व और विशेषताएं (What are statistics? Meaning, Definition, Significance and Characteristics of Statistics in Hindi) जानेगें।

सांख्यिकी वह प्रविधि या कार्य पद्धति है जिसको संख्यात्मक तथ्यों के संकलन या संग्रह, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। सांख्यिकी द्वारा ऐसे परिणाम प्राप्त होते हैं जिनसे विभिन्न दशाओं के बीच कार्य और कारण के सम्बन्ध का स्पष्ट करके एक सामान्य निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।

सांख्यिकी आँकड़ों एवं समंकों का वैज्ञानिक विधि है जिसे अध्ययन के लिए एक आवश्यक आधार के रूप में देखा जाता है। सांख्यिकी आंकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों के रूप में संक्षिप्त करने में सहायता करता है, जिससे सांख्यिकी के द्वारा आंकड़ों के समूह के विषय में उचित एवं समस्त सूचनाएं प्रस्तुत की जाती है। सामाजिक अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी हलांकि बहुत महत्वपूर्ण है, फिर भी इसका अतिरिक्त पद्धति के रूप में उपयोग करना ही सही होता है। साख्यिकी से प्राप्त तथ्यों को अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत योग्यता द्वारा ही उपयोगी निष्कर्ष के रूप में निरूपित किया जा सकता है। सांख्यिकी की उपयोगिता एवं महत्व बढता जा रहा है।

सांख्यिकी का अर्थ

Meaning of statistics in Hindi

Statistics in Hindi Meaning, Definition Types Characteristics Significance and Utilityशाब्दिक रूप में सांख्यिकी शब्द अंग्रेजी के शब्द statistics का हिन्दी रूपान्तर है जो लैटिन भाषा के शब्द स्टेटस (status) तथा जर्मन भाषा शब्द statistik से भी जोड़ते हैं जिसका अर्थ राज्य है। साख्यिकी का शाब्दिक अर्थ है संख्या से संबंधित शास्त्र। इस प्रकार विषय के रूप में सांख्यिकी ज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध संख्याओं या संख्यात्मक आंकड़ों से हो। सांख्यिकी सिद्धान्तों को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करने का श्रेय जर्मन विद्वान गाॅटफ्रायड एचेनवाल को है इसी कारण एकेनवेल को सांख्यिकी का जनक कहा जाता है। वर्तमान युग में सांख्यिकी को विकसित करने में कार्ल पियर्सन का योगदान सबसे अधिक है।

सांख्यिकी की परिभाषा

Definition of statistics in Hindi

बाउले –“समंक किसी अनुसंधान के किसी विभाग में तथ्यों का संख्या के रूप में प्रस्तुतीकरण है, जिन्हें एक दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किया जाता है”।

कानर –“सांख्यिकी किसी प्राकृतिक अथवा सामाजिक समस्या से सम्बन्धित माप की गणना या अनुमान का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ढंग है जिससे कि अन्तसम्बन्धों का प्रदर्शन किया जा सके”।

वालिस और राबटस – “सांख्यिकी के परिमाणात्मक पहलुओं के संख्यात्मक विवरण है जो मदों की गिनती या माप के रूप में व्यक्त होते हैं”।

सांख्यिकी के प्रकार

Types of statistics in Hindi

सांख्यिकी के मुख्यतः दो प्रकार प्रचलित है –

  1. प्राचल सांख्यिकी
  2. अप्राचल सांख्यिकी

प्राचल सांख्यिकी

Parameter statistics in Hindi

प्राचल सांख्यिकी में सभी के किसी एक विशेष प्राचल से संबंधित होता है तथा आंकड़ों के आधार पर प्राचल के संबंध में अनुमान लगाया जाता है। प्राचल सांख्यिकी में जिस प्रकार के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है वह आंकड़ें न्यादर्श और सामान्य विवरण से संबंधित होते है।

अप्राचल सांख्यिकी

Non Parameter statistics in Hindi

अप्राचल सांख्यिकी को वितरण मुक्त सांख्यिकी भी कहा जाता है क्योंकि कुछ आंकड़ें ऐसे भी होते है जहां न तो संयोगिक चयन होता है और न सामान्य वितरण हो। ऐसे आंकड़ों की संख्या कम होने के कारण आकड़ों का स्वरूप रूप बिगड़ा हुआ होता है और इनका एक समग्र के प्राचल से संबंध नहीं होता है। ऐसे आंकडों से संबंधित सांख्यिकी विधियां अप्राचल सांख्यिकी में आती हैं। माध्यिका, सहसंबंध, काई टेस्ट, माध्यिका टेस्ट ये  प्रमुख सांख्यिकी विधियां है।

व्यावहारिक सांख्यिकी के मुख्यतः दो प्रकारों में बाट कर सकते है।

  1. वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics)
  2. अनुमानिक सांख्यिकी (Approximate Statistics)

वर्णनात्मक सांख्यिकी (Descriptive Statistics)

वर्णनात्मक सांख्यिकी में वे विधियां आती है जिनके प्रयोग से किसी न्यादर्श की विशेषताओं का प्राप्त आंकडों के आधार पर वर्णन किया जाता है। इस प्रकार की सांख्यिकी का प्रयोग सांख्यिकी में प्रदत्तों का संकलन, संगठन, प्रस्तुतीकरण एवं परिकलन से होता हैं इसके अंतर्गत प्रदत्तों का संकलन करके सारणीबद्ध किया जाता है और प्रदत्तों की विशेषता स्पष्ट करने के लिए कुछ सरल सांख्यिकीय मानों की गणना की जाती है- जैसे केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापकों, विचलन मापकों तथा सहसंबंध आदि का प्रयोग वर्ग की प्रकृति तथा स्थिति आदि जानने के लिए किया जाता है।

अनुमानिक सांख्यिकी (Approximate Statistics)

अनुमानिक सांख्यिकी विधियां का प्रयोग किसी जनसंख्या से लिये गए न्यादर्श के विशेष में तथ्य एकत्र करके उसके आधार पर जनसंख्या के विषय में निष्कर्ष निकालने के लिए किया जाता है। बहुधा इस सांख्यिकी की सहायता से परिणामों की वैधता जांच की जाती है। बहुधा अनुमान के लिए अपेक्षाकृत उच्च सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है जैसे सम्भावना नियम, मानक त्रुटि, सार्थकता, परीक्षण आदि। चूंकि समूह विस्तृत होते है तथा इनके सदस्यों की संख्या अधिक होती है अतः अध्ययनकत्र्ता अध्ययन के लिए इन बड़े समूहों से न्यादर्श को चुनकर समस्या का अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष सम्पूर्ण समूह का प्रतिनिधित्व करते है।

सांख्यिकी की विशेषताएं

Features of Statistics in Hindi

तो चलिये अब सांख्यिकी की विशेषताएं (Features of Statistics in Hindi) को जानते है-

  1. तथ्यों के किसी समूह अथवा उस पर आधारित निष्कर्ष को सांख्यिकी कहा जाता है। उदाहरण- किसी एक व्यक्ति की महीने की आयसांख्यिकी नहीं है बल्कि बहुत से लोगों की महीने कीआय से प्राप्त औसत आय को सांख्यिकी आँकड़ा कहा जाता है।
  2. सांख्यिकी उपयोग किसी तथ्य की गुणात्मक महत्व अर्थात अच्छा, बुरा, उचित अथवा अनुचित को व्यक्त नहीं करता है। इसके विपरीत प्रत्येक निष्कर्ष को प्रतिशत, अनुपात, औसत अथवा विचलन के रूप में संख्या के द्वारा व्यक्त किया जाता है। वास्तविक अर्थो में सांख्यिकी संख्यात्मक आँकड़ों का समूह होता है। किसी उद्योग क्षेत्र के प्रबन्धक का वेतन श्रमिकों से ज्यादा होता है, इस तथ्य द्वारा सांख्यिकी प्रकृति प्रदर्शित नहीं होती है, जबकि विभिन्न श्रेणियों के कार्मिकों की औसत मासिक आय की परस्पर तुलना तथ्यों को सांख्यिकी रूप में प्रस्तुत करेगी।
  3. सांख्यिकी में आँकड़ों समंको का संकलन एक पूर्व निश्चित उद्देश्य को दृष्टिगत रखकर किया जाता है। सांख्यिकीय समंक यत्र-तत्र अव्यवस्थित नहीं होते लेकिन यह अति व्यवस्थित एवं योजनाबद्ध रूप में होते हैं। किसी पूर्व निर्धारित उद्देश्य की अनुपस्थिति में प्राप्त किये जाने वाले तथ्यों को संख्या कहा जा सकता है लेकिनवह आँकड़ों की श्रेणी में नहीं आते है।। जैसे किसी औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की सामाजिक आर्थिक स्थिति का अध्ययन किया जाना है तो पहले में ही उद्देश्य निर्धारित किया जाता है कि तथ्यों का संग्रहीकरण किस लक्ष्य के लिए किया जा रहा है। इस लक्ष्य के लिए कार्य घण्टे, दैनिक मजदूरी , स्वास्थ्य दशाएं, परिवार का आकार, शैक्षणिक स्तर आदि तथ्य एकत्र किये जा सकते है।
  4. सांख्यिकी का संबंध उन आँकड़ों से भी होता है जो एक दूसरे के साथ तुलना योग्य होते है। तुलनात्मक अध्ययन के लिए तुलना की श्रेणियों में सजातीय एकरूपता का होना अनिवार्य है। उदाहरण के लिए यदि व्यक्तियों की आय की तुलना वृक्षारोपण के आँकड़ों से की जायेगी तो समरूपता न होने का कारण उन्हें सांख्यिकी मे नहीं रखा जा सकता है। उक्त उदाहरण से स्पष्ट होता हे कि आँकड़ों के केवल उन समूहों को सांख्यिकी कहा जा सकता है जो परस्पर तुलना योग्य हों.
  5. आँकड़ों में पर्याप्त शुद्धता की उपस्थिति सांख्यिकी की एक विशेष आवश्यकता होती है। इसका आशय यह है कि अध्ययन विषय की प्रकृति तथा अनुसंधान का उद्देश्य शुद्ध होना चाहिए। आँकड़ों की शुद्धता का संबंध विषय की प्रकृति एवं विशिष्ट परिस्थिति से होता है। इस परिशुद्धता का निर्धारण संमको की मात्रा अथवा संख्या से किया जाता है जिसके आधार पर एक उपयोगी निष्कर्ष निरूपित किया जा सकता है।
  6. सांख्यिकी की इस विशेष के तहत तथ्यों का संकलन योजनापूर्ण तरीके से किया जाता है क्योंकि अव्यवस्थित आँकड़े किसी भी निष्कर्ष को वस्तुनिष्ठतापूर्वक निरूपित नहीं कर सकते हैं।
  7. यह मालूम है कि विज्ञान होने के कारण सांख्यिकी से संबंधित आँकड़े अनेक कारणों अथवा कारकों से प्रभावित होते है। सांख्यिकी का संबंध किसी एक पक्ष मात्र के विष्लेशण से ही नहीं बल्कि उन सभी कारकों के आंकलन अथवा विवेचन से भी होता है जो किसी विशेष दशा में परिवर्तन उत्पन्न करते हैं, साथ ही घटनाओं के मध्य परस्पर सह-संबंध को व्यक्त करते हैं।
  8. सांख्यिकी मेनिहित आँकड़ों का संकलन कई पद्धतियों एवं तकनीक पर आधारित होते है। उद्देश्यपूर्ण विधि से संकलित संगणना व निदर्शन आधारित आँकड़े सांख्यिकी की विशेषता को स्पष्ट करते हैं। सीमित अनुसंधान क्षेत्र में संमको का एकत्रीकरण संगणना विधि तथा विस्तृत अनुसंधान क्षेत्र में आँकड़ों का संकलन निदर्शन अर्थात् संबधित पूर्ण इकाइयों में से कुछ प्रतिनिधि इकाइयों का चयन करके किया जाता है।
  9. विशेष रूप से सांख्यिकी एक ऐसा विज्ञान है जो आँकड़ों के आधार पर किसी विषय से संबंधित सामान्य प्रवृत्तियों को स्पष्ट करता है। सांख्यिकी की आधारभूत मान्यता यह है कि कतिपय संख्याओं के आधार पर निरूपित निष्कर्ष दूसरी संख्याओं पर लागू होता है। जैसे- यदि किसी विशेष समाज में कार्यदशाओं, स्वास्थ्य- स्तर, मासिक आय, जन्म दर, मृत्यु दर आदि आँकड़े एकत्रित कर लिये जाये तो उनके आधार पर उसी प्रकार के अन्य समाजों के लिए भी जनसंख्या संबंधी सामानय प्रवृत्तियों को समझा जा सकता है।

सांख्यिकी महत्व तथा उपयोगिता

Statistical Importance and Utility in Hindi

वर्तमान में सांख्यिकी का प्रयोग बढ़ता जा रहा है क्योंकि हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में नीति निर्धारण आवश्यक होता है और नीतियों का निर्धारण संमको के बिना सम्भव नहीं है। भारत तथा अन्य विकासशील देशों की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था का नियोजन परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से सांख्यिकी के प्रयोग पर ही आधारित है। एकत्रित सांख्यिकीय आँकड़ों के माध्यम से ही भविष्य की आवश्यकताओं का अनुमान लगाया जाता है और विकास की दिशा में संसाधनों की अभिवृद्धि करने का प्रयास होता हैं सांख्यिकी महत्व तथा उपयोगिता को इन बिन्दुओं के रूप में समझा जा सकता है-

  1. सांख्यिकी का यह महत्वपूर्ण कार्य विषय से संबंधित तथ्यों का संख्या के रूप में प्रस्तुती करना होता हैं पहले इसका उपयोग सिर्फ संख्या में मापी जाने आँकड़ा पाने तक ही सीमित था, लेकिन मनोवृत्ति मापक पैमानों के विकास के साथ ही मानव विचारों और मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में भी सांख्यिकी की उपयोगिता विस्तृत हो गई है। इसके द्वारा समस्याओं को अपेक्षाकृत अधिक सरल रूप में समझा जा सकता है। उदाहरण वर्तमान में चुनाव से पहले कई राजनीतिक दलों को चुनाव के समय मिलने वाली सीटों के अनुमान के लिए मीडिया द्वारा एक्जिट पोल किया जाता है ताकि लोगो की राय जानी जा सके।
  2. आँकड़ों का सरल और समझने के योग्य प्रस्तुतीकरण सांख्यिकी के द्वारा ही सम्भव होता हे। बहुत कठिन दिखने वाले तथ्यों का सांख्यिकी की वर्गीकरण, सारणीयन, बार चार्ट, ग्राफ, बिन्दुरेखाओं के द्वारा आसानी से प्रदर्शित किया जा सकता हे और साधारण लोग उसे आसानी से समझ सकते है। उदाहरण के लिए प्रति व्यक्ति आय तथा राष्ट्रीय आय को सारणी तथा रेखाचित्र द्वारा देखने पर उनकी स्वीकार्यता आसान और याद रखने योग्य हो जाती है।
  3. सांख्यिकी विषय में निहित तथ्य अथवा कई विषयों से संबंधित आँकड़ों का तुलनातमक अध्ययन करती है। औसत तथा गुणांक के द्वारा किन्हीं भी दो तथ्यों की तुलना करके उनके मध्य सहसंबंध प्रदर्शित करते हैं। जैसे- यदि हम समुदाय में परिवारों की आर्थिक स्थिति और शैक्षिक स्तर के बीच अध्ययन करते हैं तो मिलने वाले आँकड़ों से यह पता करना सरल हो जाता है कि परिवारों की आर्थिक स्थिति का शिक्षा से किया संबंध है।
  4. सांख्यिकी के द्वारा केवल आँकड़ों का विश्लेषण नहीं किया जाता है, बल्कि सांख्यिकी में प्राप्त आँकड़ों की सहायता से भविष्य की परिस्थितियां अथवा दशाओं का पहले से अनुमान लगाया जा सकता है। पुर्वानुमान विज्ञान की आवश्यक विशेषता है, जिसके आधार पर भविष्य कीयोजनाएं बनाई जाती हैं। जनसंख्या से प्राप्त आँकड़ों के आधार पर भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राथमिकता आधारित कार्य क्षेत्रों का निर्णय महत्वपूर्ण होता है।
  5. सांख्यिकी से व्यक्तिगत ज्ञान और अनुभवों में वृद्धि होती है। इसका उपयोग करके किसी भी समस्या के व्यावहारिक पक्ष को आसानीव सही तरीके से समझा जा सकता है।
  6. सामाजिक जीवन में अधिकांश विषयों की जानकारी सामान्य कथनों व द्वितीय स्रोतो से प्राप्त सूचनाओं पर आधारित होती हैं, तथापि स्पष्ट तथा अनुभव सिद्ध भिज्ञता मात्र सांख्यिकी के द्वारा ही प्राप्त होती हैं अतएव यह स्पष्ट किया जा सकता है कि सामाजिक विषयों की जानकारी का सबसे प्रामाणिक आधार सांख्यिकी ही है।
  7. वर्तमान में प्रशासनिक कार्यों लिए भी सांख्यिकी का प्रयोग महत्वपूर्ण है। विकास के कई क्षेत्रों से संबंधित आँकड़ों का संकलन करके नीति नियोजन के द्वारा सरकारें प्रशासनिक क्रियान्वयन को और अधिक सतर्क व प्रभावपूर्ण बनाती हैं ताकि विकास लक्ष्यों की गुणात्मक व मात्रात्मक उपलब्धि सुनिश्चित हो सके।
  8. सामान्य परिस्थितियों में परिवर्तन के कारण पुराने सिद्धान्त पहले की तरह वर्तमान में प्रमाणिक तथा उपयोगी नहीं रह गए हैं। सांख्यिकी से प्राप्त अध्ययन पद्धतियों के प्रयोग से वर्तमान तथ्यों का संकलन सम्भव होता है कि अतीत का कोई नियम अथवा सिद्धान्त वर्तमान में किस सीमा तक उपयोगी अथवा अनुपयोगी है।
  9. आँकड़ों के द्वारा ही यह पता करना सम्भव हो सकता है कि उस क्षेत्र या समूह की आवश्यकताएं क्या हैं। इन्हीं आवश्यकताओं के आधार पर विकास कार्यों से संबंधित प्राथमिकताओं का निर्धारण किया जाता हैं।
  10. व्यक्ति का आर्थिक उत्पादन व उपभोग के मध्य संतुलन, व्यापारिक क्रियाओं तथा औद्योगिक विकास पर निर्भर करता है, व्यक्तियों की अभिरूचियाँ, जीवन शैली, जीवन स्तर, क्रय क्षमता तथा दैनिक व्यवहारिक आदतों का अध्ययन उत्पादन के व्यवस्थापन अथवा प्रबन्धन के लिए अत्यावश्यक हैं। इसका तात्पर्य यह है कि जिस क्षेत्र में औद्योगिक तथा आर्थिक समंक जितनी कुश्लता से एकत्रित किये जाते हैं, उस क्षेत्र का आर्थिक विकास उतनी ही त्वरित गति से नियोजित किया जा सकता है। नियोजन हेतु पुनः सांख्यिकी का प्रयोग महत्वपूर्ण है।
  11. सामाजिक घटनाओं का क्रम बड़ी सीमा तक अमूर्त तथा गुणात्मक होता है, लेकिन सांख्यिकीय उपकरण की मदद से घटनाओं से संबंधित प्रवृत्तियों को समझा जा सकता है। सांख्यिकी के कमी में सामाजिक अनुसंधान सही एवं वस्तुनिष्ठ नहीं बनाया जा सकता है। सामाजिक विकास कार्यों का मूल्याकंन भी आँकड़ों के आधार पर ही किया जाता है।

सांख्यिकी की सीमाएं

Limits of statistics in Hindi

इसके प्रयोग की सीमाएं भी हैं। तथ्यों का संकलन, विष्लेशण तथा विवेचन प्रविधियों में सीमाओं का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है, नहीं तो निष्कर्ष गलत हो सकते हैं। सांख्यिकी की प्रमुख सीमाओं को इन के अनुसार समझा जा सकता है-

  1. सांख्यिकी का उपयोग केवल उन्ही अध्ययनों में किया जा सकता है जिनमें तथ्यों को संख्याओं के रूप में स्पष्ट करना सम्भव होता है।
  2. सांख्यिकी का प्रयोग मात्र वर्गो के अध्ययन के लिए किया पा सकता है न कि व्यक्तिगत मूल्यों के संदर्भ में । साख्यिकी द्वारा व्यक्तिगत इकाईयों के संदर्भ में नहीं दिये जा सकते हैं और न ही अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
  3. सांख्यिकी के आधार पर जो निष्कर्ष प्राप्त होते हैं उनकी विश्वसनीयता बहुत अधिक नहीं होती है।
  4. सांख्यिकी की यह सीमितता यह इंगित करती है कि सांख्यिकी द्वारा जो भी परिणाम प्राप्त होते हैं वो प्रायः औसतम मान के रूप में ही रहते हैं। जहाँ एक ओर सांख्यिकी औसत को सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान देती है, वहीं दूसरी तरफ औसत मान दीर्घकाल में उपयोगी नहीं रह पाते हैं। औसत मान सदैव परिवर्तित होता रहता है, साथ ही यह एक सामान्य प्रवृत्ति को स्पष्ट करता है।
  5. अनुसंधान कार्य में सांख्यिकी का सही प्रयोग करने के लिए विशेष ज्ञान आवश्यक होता है। सांख्यिकी आधार पर तथ्यों के संकलन, सारणीयन, विष्लेशण तथा विवेचना का उचित ज्ञान होना बहुत जरूरी है।
  6. गहन अध्ययन की शोध पद्धतियों में सांख्यिकी का प्रयोग करना लाभदायक नहीं होता है क्योंकि गहन अध्ययन विषयों में जीवन की सूक्ष्म घटनाओं के संबंध में स्पष्ट निष्कर्ष प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं। इस प्रकार की अध्ययन शैली के अन्र्तगत वैयक्तिक अध्ययन तथा सहभागी अवलोकन पद्धतियाँ ही प्रभावी हो सकती हैं जो वास्तविक दशाओं को स्पष्ट करती हैं।
  7. सांख्यिकी एक सम्पूर्ण पद्धति नहीं है सांख्यिकी का उपयोग करके प्राप्त परिणामों को तभी सच माना जा सकता है जब अन्य पऋतियों द्वारा उनकी प्रामाणिकता की पुष्टि कर ली जाए।
  8. सांख्यिकी का कार्य समंको को संकलित कर प्रस्तुत करना होता है न कि किसी निष्कर्ष पर पहुँचना। सांख्यिकी के द्वारा हमें मात्र कुछ तथ्य प्राप्त होते हैं, जिनके आधार पर समस्या समाधान का कार्य शोधकर्ता का होता है। यदि शोधकर्ता स्वयं योग्य और कुशल नहीं होगा तो वह किसी उपयोगी निष्कर्ष पर नही पहुँच सकता है। कोई व्यक्ति चाहे तो इनको परिणाम रूप् में उपयोग कर सकता है।

तो आपको यह पोस्ट जर्मनी विद्वान एवं गणितिज्ञ गाटफ्रायड एचेनवाला द्वारा निर्धारित सांख्यिकी क्या है? अर्थ, परिभाषा, प्रकार What is Statistics? Meaning, Definition, Types कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे..

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