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प्रकाश संश्लेषण क्या है परिभाषा रासायनिक प्रक्रिया और महत्व | Photosynthesis in Hindi

इस पोस्ट में हम जानेंगे प्रकाश संश्लेषण क्या है Photosynthesis in Hindi के बारे मे, अगर आपको प्रकाश संश्लेषण क्या है यह प्रक्रिया कैसे होती है, इस प्रक्रिया मे पौधे अपना भोजन कैसे बनाते है, इसका रासायनिक सूत्र क्या है, और इसका क्या महत्व है के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट को पूरा पढे, तो चलिये अब प्रकाश संश्लेषण क्या है के बारे मे जानते है,

प्रकाश संश्लेषण क्या है

Photosynthesis in Hindi

Photosynthesis in Hindi पौधे जिस प्रक्रिया के द्वारा अपना भोजन तैयार करते हैं उस मूलभूत प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं।

साधारण शब्दो मे सभी हरे पौधे स्वपोषी होते हैं। वे अपना भोजन बनाने के लिए कार्बन डाइ आक्साईड, पानी तथा खनिज लवण जैसी कच्ची सामग्री का उपयोग करते हैं। हरे पौधों में भोजन बनाने की यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण द्वारा होती है। हरे पौधे अपना भोजन बनाने के लिये सरल पदार्थों से जटिल पदार्थ बनाते हैं। वे ऐसा सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा लेकर करते हैं इसीलिए इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) कहते हैं।

सभी हरे पौधों में पर्णहरित (Chlorophyll) होता है जिसमें सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता होती है। सूर्य की ऊर्जा की सहायता से प्रकाश संश्लेषण में सरल अकार्बनिक अणु-कार्बन डाइऑक्साइड (CO2,) और जल (H2O) का पादप-कोशिकाओं में स्थिरीकरण (fixation) कार्बनिक अण ग्लूकोस (कार्बोहाइड्रेट) में होता है।

पौधे इस क्रिया द्वारा सिर्फ ग्लूकोस का ही उत्पादन नहीं करते हैं, वरन वे सूर्य-प्रकाश की विकिरण ऊर्जा का भी स्थिरीकरण रासायनिक ऊर्जा में करते हैं,जो ग्लूकोस अणुओं में संचित रहती है।

प्रकाश संश्लेषण की परिभाषा

Definition of Photosynthesis in Hindi

“प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमें क्लोरोफिल तथा प्रकाश ऊर्जा की उपस्थिति में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड एवं जल ग्लुकोस में परिवर्तित हो जाते हैं ।”

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का समीकरण

Equation of photosynthesis in Hindi

संपूर्ण प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को हम निम्नलिखित रासायनिक समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं।

6CO2 + 12H2O——-Sunlight and Clorofil –> C6H12O6 + 6O2 + 6H2O

उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट है कि इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन उपोत्पाद (by-product) के रूप में बनता है, जो पौधों द्वारा वायुमंडल में छोड़ा जाता है।

प्रकाश संश्लेषण का स्थान

Site of photosynthesis in Hindi

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया आदि से अंत तक क्लोरोप्लास्ट में ही होती है। पत्तियों के पैलिसेड (palisade) तथा स्पंजी पैरेनकाइमा (spongy parenchyma) में अनेक क्लोरोप्लास्ट भरे रहते हैं। इन कणों की रचना एवं कार्य दोनों ही बड़े जटिल होते हैं।

क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाए जाते हैं। चूँकि ये अधिकांशतः पौधों की पत्तियों में पाए जाते हैं, इसीलिए पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग (photosynthetic organs) कहते हैं एवं हरितलवकों को प्रकाशसंश्लेषी अंगक.(Photosynthetic organelles) कहते हैं।

पत्तियों की बाह्य त्वचा या एपिडर्मिस में रंध्र या स्टोमाटा (stomata) मौजूद होते हैं। ये विशिष्ट कोशिकाएँ होती हैं जिनके मध्य में एक छिद्र होता है। ये छिद्र बंद और खुल सकते हैं तथा जिनका नियंत्रण द्वार कोशिकाओं या गार्ड सेल्स(guard cells) द्वारा होता है। इन्हीं रंध्रों द्वारा.वायुमंडल से CO2 युक्त वायु पत्तियों के भीतर कोशिकाओं में विसरण या डिफ्यूशन (diffusion) द्वारा पहुँचती है।

रंध्रों का खुलना एवं बंद होना द्वार कोशिकाओं की स्फीति (turgidity) पर निर्भर करता है। जब द्वार कोशिकाएँ जल अवशोषित कर फूल जाती हैं तो रंध्र खुल जाता है। इसके विपरीत, जब द्वार कोशिकाओं का जल बाहर निकल जाता है तथा ये सिकुड़ जाती हैं तो रंध्र बंद हो जाता है।

प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया के लिए के लिए आवश्यक पदार्थ

Substances required for the process of photosynthesis in Hindi

प्रकाशसंश्लेषण (photosynthesis) प्रक्रिया के लिए चार पदार्थों की आवश्यकता होती है-

  1. पर्णहरित या क्लोरोफिल,
  2. कार्बन डाइऑक्साइड,
  3. जल
  4. सूर्य-प्रकाश।

1.पर्णहरित या क्लोरोफिल (Chlorophyll)

जैसा की पता चल गया होगा की प्रकाश-संश्लेषण-प्रक्रिया (Photosynthesis) केवल हरे पादपों में होता है। पर, वास्तव में पौधे का हरा होना आवश्यक नहीं है, क्योंकि लाल और भूरे रंग के पौधों में भी प्रकाश संश्लेषण-प्रक्रिया होती है, जैसे कुछ समुद्री घास या अन्य पौधे। अतः, प्रकाश संश्लेषण-प्रक्रिया में पौधे का रंग उतना महत्त्व नहीं रखता जितना कि पादप-कोशिकाओं के भीतर हरे वर्णक पर्णहरित या क्लोरोफिल की उपस्थिति।

अतः, प्रकाश संश्लेषण-प्रक्रम (Photosynthesis) केवल क्लोरोफिल की मौजूदगी में ही संभव है। चूंकि क्लोरोफिल ही वह वास्तविक अणु है जिसके द्वारा प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न होती है, अतः क्लोरोफिल अणुओं को प्रकाशसंश्लेषी इकाई (Photosynthetic Units) कहते हैं।

2.कार्बन-डाइऑक्साइड (Carbon dioxide)

प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis) मे पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। पौधे इस आवश्यक Co, को अपने वातावरण से प्राप्त करते हैं। CO2, का सबसे बड़ा भंडार वायुमंडल है। परंतु, वायुमंडल में इसके अलावा और भी गैसें अलग-अलग मात्रा में मौजूद होती हैं।

वायुमंडल में सामान्य रूप से CO2 0.03%, अर्थात 10,000 भाग में से 3 भाग Co2, मौजूद होता है। इसके अलावा लकड़ी, कोयले, ईंधनों के जलने से, जीवाणुओं के द्वारा अपघटन (decomposition) से, श्वसन क्रिया आदि से CO2, वायुमंडल में मुक्त होता है।

3. जल (Water)

पौधे अपने भोजन का अधिकतर भाग जल से प्राप्त करते हैं तथा जल के ही कारण उनमें वृद्धि होती है प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis)के लिए यह एक अनिवार्य घटक है। किसी एक सरल प्रयोग द्वारा जल की अनिवार्यता को दर्शाना कठिन है।

नियमित रूप से अगर पौधों को जल न मिले तो वे मर जाते हैं, लेकिन यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। इसीलिए, किसान अपने खेतों में लगी फसलों की नियमित सिंचाई करते हैं। यह इसीलिए आवश्यक प्रकाश संश्लेषण के लिए पौधों को नियमित रूप से जल उपलब्ध हो। पौधे अपनी जड़ों द्वारा भूमि से जल और साथ-साथ उसमें घुले खनिज लवणों (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कैल्सियम, मैग्नीशियम, लोहा आदि के यौगिको) का अवशोषण करते हैं।

नाइट्रोजन से प्रोटीन एवं अन्य यौगिकों का संश्लेषण होता है। जड़ों द्वारा ग्रहण किया गया जल जाइलम ऊतकों (xylem tissues) द्वारा पौधों के विभिन्न भागों एवं पत्तियों में पहुँचता है जहाँ प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया में इसका उपयोग होता है।

जलीय पौधे पानी एवं लवणों का.अवशोषण अपने बाहरी हिस्से से आसानी से कर लेते हैं।

  1. सूर्य-प्रकाश (Sun Light)

प्रयोग द्वारा यह साबित हुआ कि हरे पौधे केवल सूर्य के प्रकाश में ही कार्बन डाइऑक्साइड को शुद्ध करते हैं। अँधेरे (dark) में प्रकाशसंश्लेषण की प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकती है; क्योंकि सूर्य की रोशनी ही इस प्रक्रिया के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है। हरित पौधों में पाए जानेवाले हरितलवकों में मौजूद क्लोरोफिल ही सूर्य-प्रकाश में मौजूद सौर ऊर्जा (solar energy) या विकिरण ऊर्जा (radiant energy) को ट्रैप या विपाश कर सकते हैं एवं उसे रासायनिक ऊर्जा में बदलकर संश्लेषित ग्लूकोस के अणुओं में इसका समावेश करते हैं।

प्रकाशसंश्लेषण कैसे होती है

How does work about photosynthesis in Hindi

प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की जटिल क्रिया में हरे पौधे विकिरण ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। जब सूर्य का प्रकाश हरी पत्तियों पर पड़ता है, तब क्लोरोफिल विकिरण ऊर्जा का अवशोषण करता है तथा इस ऊर्जा द्वारा हरी पत्तियों में उपस्थित जल दो भागों, अर्थात हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभक्त हो जाता है। इनमें ऑक्सीजन स्टोमाटा द्वारा बाहर निकलकर वायुमंडल में मिल जाता है।

हाइड्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड से मिलकर ग्लूकोस बनाता है। प्रकाश संश्लेषण की पूर्ण क्रियाविधि में प्रकाश की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन प्रकाश जल को विभक्त करने में यानी जल का प्रकाशिक अपघटन (Photolysis Of Water) के लिए आवश्यक है। प्रकाश संश्लेषण के इस प्रथम चरण को प्रकाश अभिक्रिया (light reaction) कहते हैं।

इसके बाद की प्रतिक्रिया जिसमें प्रकाश अभिक्रिया के उत्पाद (Products of Light Reaction) का Co2, के अपचयन में काम आता है और जिसके फलस्वरूप ग्लूकोस बनता है, प्रकाश तथा अंधकार समान रूप से रहता है। प्रकाश संश्लेषण के इस द्वितीय चरण को अप्रकाशिक अभिक्रिया (dark reaction) कहते हैं।

यह चरण अप्रकाशिक अभिक्रिया इसलिए नहीं कहलाता, क्योंकि यह अंधकार में होता है या इसमें प्रकाश की अनुपस्थिति आवश्यक है, अपितु प्रकाश होने या न होने का इसपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया का महत्व

Importance of photosynthesis in Hindi

प्रकाश संश्लेषण हरे पौधों में भोजन बनाने की प्राथमिक विधि है। कार्बन तथा हाइड्रोजन को आक्साइड (CO2 तथा H2O) सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा लेकर पौधों की कोशिकाओं में कार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोज) के रूप में स्थिर हो जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण का रासायनिक समीकरण है-

पौधे न केवल कार्बन डाई आक्साइड (CO2) तथा पानी (H2O) को कार्बोहाइड्रेट के रूप में स्थिर करते हैं अपितु सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को भी स्थिर करते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि हम सब प्रतिदिन भोजन में अप्रत्यक्ष रूप से सूर्य का प्रकाश ग्रहण करते हैं क्योंकि पौधे सूर्य के प्रकाश को भोजन के रूप में स्थिर करते हैं। प्रत्यक्ष रूप से जन्तु अपना भोजन पौधों और उनके उत्पादों से प्राप्त करते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से जब वे अन्य जन्तुओं को भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। क्योंकि वे जन्तु भी अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये पौधों पर निर्भर होते हैं।

पौधे सूर्य के प्रकाश को परिवर्तित करके कार्बनिक पदार्थों के रूप में इकट्ठा करते हैं। इन पदार्थों को हम अपने भोजन में लेते हैं। वायु की आक्सीजन भी मुख्यतः पौधों की प्रकाश-संश्लेषण क्रिया द्वारा उत्पन्न होती है। पृथ्वी पर पौधों की उत्पत्ति से पूर्व वायु में आक्सीजन गैस की मात्रा नगण्य थी। जितनी भी आक्सीजन उस वक्त पृथ्वी पर उपस्थित थी, वह संयुक्त रूप में कार्बन एवं हाइड्रोजन के साथ कार्बन के आक्साइड (CO2,CO) एवं जल (H2O) के रूप में थी। पौधों की उत्पत्ति एवं प्रकाश संश्लेषण क्रिया के आरम्भ से वायु में आक्सीजन की मात्रा वर्तमान लगभग 20% तक पहुंची है। यह प्रक्रिया लगभग 280 करोड़ वर्ष पहले प्रारम्भ हुई थी। वायु में आक्सीजन की उपस्थिति से ही उच्च जन्तुओं की उत्पत्ति एवं विकास संभव हुआ।

प्रकाश-संश्लेषण द्वारा उत्सर्जित इसी आक्सीजन के कारण ही पृथ्वी के वायुमण्डल में ‘जीवन-रक्षक’ ’ओजोन की परत’ का निर्माण हुआ।

  1. हरे पौधों में एक वर्णक जिसे हरितलवक कहते है, पाया जाता है। यह ऊर्जा को ग्रहण, परिवर्तित एवं स्थानांतरित करके इसे पृथ्वी पर सभी जीवों के लिए उपलब्ध करा सकता है।
  2. प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया में प्रकाश ऊर्जा का रूपांतरण रासायनिक ऊर्जा में होता है।
  3. हरे पौधो के अलावा कोई भी जीव सौर ऊर्जा का सीधा उपयोग नहीं कर सकता है अतः सभी प्राणी अपने जीवन निर्वाह हेतु हरे पौधों पर निर्भर रहते हैं।
  4. हरे पौधे अकार्बनिक पदार्थों से अपना कार्बनिक भोजन स्वयं बनाते हैं अतः उन्हें स्वपोषी कहते हैं जबकि अन्य जीव अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते अतः उन्हें विषमपोषी कहते हैं।
  5. प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के दौरान वातावरण में ऑक्सीजन मुक्त होती हैं जिससे पर्यावरण अन्य जीवों के जीवित रहने लायक बन पाता है।
  6. प्रकाशसंश्लेषण द्वारा बने सरल कार्बोहाइड्रेट परिवर्तित होकर लिपिड, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल तथा अन्य कार्बनिक पदार्थों में बदल जाते हैं।
  7. हरे पौधे एवं इनके उत्पाद सभी जीवधरियो के मुख्य भोजन हैं।
  8. जीवाश्मीय ईंधन जैसे-कोयला गैस, तथा तेल इत्यादि भी प्राचीन भूगर्भीय काल के पेड़-पौधों के प्रकाशसंश्लेषण के ही उत्पाद है।

प्रकाश संश्लेषण कहाँ होता है?

Where does photosynthesis take place in Hindi

प्रकाश संश्लेषण के हरे भाग मुख्यता: पत्तियाँ, कभी-कभी हरे तने एवं पुष्प कलिकाओं द्वारा भी होता है। पत्तियों की विशिष्टकृत कोशिकाएँ जिन्हें मीसोफिल कहते हैं, उनके हरितलवक पाये जाते हैं। ये हरितलवक ही प्रकाश संश्लेषण के वास्तविक केन्द्र है।

प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले कारक

Factors affecting the rate of photosynthesis in Hindi

प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले कारकों को मुख्यत: दो भागों में बाँट सकते है-

  1. आंतरिक एवं
  2. बाह्य (वातावरणीय) कारक।

प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले आंतरिक कारक (Intrinsic factor)

  1. हरितलवक- हरितलवक की मात्रा का प्रकाश संश्लेषण की दर के साथ सीध संबंध है क्योंकि ये वर्णक प्रकाश ग्राही होता है तथा सूर्य के प्रकाश को ग्रहण करने के लिए उत्तरदायी होता है।
  2. पत्ती की आयु एवं संरचना- बढ़ती पत्ती में वृद्वि के साथ-साथ संश्लेषण की दर बढ़ती है तथा सर्वाधिक तब होती है जब पत्ती पूर्ण परिपक्व होती है। जैसे पत्ती पुरानी पड़ती जाती है, हरितलवक की कार्यक्षमता कम हो जाती है। पत्ती में प्रकाश संश्लेषण की दर को अनेक विभिन्नताए प्रभावित करती है। जैसे-
  • रंध्रों की संख्या, संरचना एवं वितरण ।
  • अंतरकोशिकीय स्थानों का आकार एवं वितरण ।
  • पैलिसेड एवं स्पंजी ऊतकों का आपेक्षिक अनुपात।
  • क्यूटिकिल की मोटाइ इत्यादि ।
  1. प्रकाश संश्लेषण पदार्थों की मांग- तेजी से बढ़ते पौधों के प्रकाश संश्लेषण की दर परिपक्व पौधों से अधिक होती है। जब विभाजयो तक को हटाने से प्रकाश संश्लेषण की मांग घट जाती है तो प्रकाश संश्लेषण की दर घट जाती है।

प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले बाह्य कारक (External)

संश्लेषण की दर को प्रभावित करने वाले प्रमुख बाह्य कारक है- तापमान, प्रकाश, कार्बनाइऑक्साइड, जल तथा खनिज इत्यादि ।

(i) प्रकाश की तीव्रता (Intensity of light)

(ii) प्रकाश विशेषता (Light quality)

(iii) प्रकाश अवधि (Light duration)

  1. सीमाकारी कारकों की संकल्पना- जब कोर्इ रासायनिक प्रक्रिया एक से अधिक कारकों से प्रभावित होती है, तब उस प्रक्रिया की दर उस कारक पर निर्भर रहती हैं जो अपने न्यूनतम मान के सबसे समीप हो अथवा सबसे कम मात्रा (या सांद्रता अथवा दर) में उपस्थित होने वाले कारक पर निर्भर करती है। सबसे कम मात्रा वाले कारक को सीमाबद्धकारक कहते हैं।

उदाहरण के किए यदि प्रकाश संश्लेषण के लिए जरूरीकारक ताप, प्रकाश एवं CO2 पर्याप्त मात्रा में हों तो प्रकाश संश्लेषण की दर सर्वाधिक होगी, परंतु इनमें से एक भी कारक की मात्रा यदि कम हो तो प्रकाश संश्लेषण की दर घट जाती है। इसे ही सीमाकारी कारकों का नियम अथवा ब्लैकमेन का सीमाकारी नियम भी कहते हैं।

  1. प्रकाश- प्रकाश संश्लेषण की दर प्रकाश तीव्रता के साथ-साथ बढ़ती जाती है। केवल बादल घिरे दिन में प्रकाश कभी भी सीमाबद्ध कारक नहीं होता। एक विशिष्ट प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाली CO2 तथा श्वसन के दौरान उत्सर्जित CO2 की मात्रा समान होती है। प्रकाश तीव्रता के इस बिन्दु को समायोजन बिंदु कहते है। प्रकाश का तंरगदैध्र्य भी प्रकाश संश्लेषण को प्रभावित करता है। लाल प्रकाश तथा कुछ हद तक नीला प्रकाश, प्रकाश संश्लेषण की दर को बढ़ा देता है।
  2. तापमान- बहुत अधिक तथा बहुत कम तापमान प्रकाश संश्लेषण की दर को कम करता है। प्रकाश संश्लेषण की दर 5o – 37o C तक बढ़ती हैं, परंतु इससे अधिक तापमान होने से इसमें तीव्र गिरावट आती है क्योंकि अधिक तापमान पर अप्रकाशी अभिक्रिया में भाग लेने वाले एंजाइम निष्क्रिय हो जाते हैं। 5o – 37o C के बीच प्रति 10o C तापमान बढ़ते पर प्रकाश संश्लेषण की दर दुगनी हो जाती है अर्थात् Q10 = 2 (Q = गुणांक)।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड- कार्बन डाइऑक्साइड, प्रकाश संश्लेषण की प्रमुख कच्ची सामग्री है । अत: इसकी सांद्रता अथवा मात्रा प्रकाश संश्लेषण को प्रमुखता से प्रभावित करती है। यह वातावरण में अपनी अल्पमात्रा (0.03 प्रतिशत) के कारण प्राकृतिक रूप से सीमाबद्ध कारक के रूप में होती है। अनुकूल तापमान एवं प्रकाश तीव्रता पर यदि CO2 की आपूर्ति बढ़ा दी जाए तो प्रकाश संश्लेषण की दर प्रमुखता से बढ़ जाएगी।
  4. जल- जल अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करता है मृदा में पानी की कमी से पौधें द्वारा जल हानि को रोकने के लिए रंध्र बंद हो जाएगा। अत: CO2 का वातावरण से अवशोषण नहीं हो सकेगा जिससे प्रकाश संश्लेषण में कमी आ जाएगी।
  5. खनिज यौगिक- कुछ खनिज यौगिक जैसे, तांबा मैगनीज तथा क्लोराइड इत्यादि प्रकाश संश्लेषी इंजाइमों के हिस्से है तथा मैंग्नीशियम हरितलवक का एक भाग है। अत: ये भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रकाश संश्लेषण की दर को प्रभावित करते हैं, क्योंकि ये हरितलवक तथा एंजाइमों के मुख्य घटक है।

प्रकाश संश्लेषण पर विभिन्न वैज्ञानिको की खोज और मत

Discovery of various scientists on photosynthesis in Hindi

प्रकाश संश्लेषण का आधुनिक ज्ञान क्रमबद्ध अन्वेषणों पर आधारित हैं । पहले यह माना जाता था कि पौधे अपना पोषण केवल भूमि एवं जल से ही प्राप्त करते हैं। तो आइए प्रकाश संश्लेषण पर विभिन्न वैज्ञानिको के मत को जानते है –

अरस्तु ( Aristotle ) – यह मानते थे कि पौधों की वृद्धि के लिये प्रकाश आवश्यक – होता है।

हेल्स (Stephen Hales, 1722 ) – ने सर्वप्रथम स्पष्ट किया कि पौधे जिस प्रक्रिया से वायुमण्डल से पोषण प्राप्त करते हैं उसके लिये प्रकाश आवश्यक होता है ।

सीनीबीअर ( Senebier, 1782 ) – ने बताया कि पौधों द्वारा ऑक्सीजन निकलने के लिये कार्बन डाइऑक्साइड आवश्यक है ।

मेयर ( Mayer, 1842 ) – ने बताया कि पौधों द्वारा अवशोषित प्रकाश ऊर्जा प्रकाश – संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित होती है ।

सन् 1900 तक विस्तृत अध्ययनों के आधार पर प्रकाश – संश्लेषण को निम्नलिखित समीकरण के द्वारा प्रदर्शित किया गया,

6CO2 + 6H₂0 + light + energy  —-> C6H12O6 + 602

प्रोस्टले (Priestley, 1722 ) – ने बताया कि पौधों में भी जन्तुओं के समान गैस विनिमय होता है परन्तु पौधों की इस प्रक्रिया से वातावरण शुद्ध होता है ।

वारवर्ग ( O. Warburg ) – दूसरे वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया कि ये दोनों अभिक्रियायें स्वतन्त्र रूप से होती हैं ।

आइजनाहौज (Ingenhousz 1779 ) – ने प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के लिये प्रकाश तथा क्लोरोफिल को आवश्यक बताया ।

ब्लैकमैन ( Blackman 1905 ) – ने अपने महत्वपूर्ण विस्तृत प्रयोगों के आधार पर आश्चर्यजनक प्रदर्शन किया कि प्रकाश – संश्लेषण कम से कम दो श्रेणीगत अभिक्रियाओं में होती है ।

  1. प्रकाश अभिक्रिया (Light Reaction) – एक अरासायनिक अभिक्रिया जिसमें प्रकाश की आवश्यकता होती है ।
  2. अप्रदीप्त अभिक्रिया (Dark Reaction or Blackman Reaction) – एक रासायनिक – एन्जाइमीक अभिक्रिया जिसमें CO2 की आवश्यकता होती है तथा इसमें प्रकाश की आवश्यकता नहीं पड़ती है ।

ईमरसन व आरनोल्ड ( Emerson and Arnold ) – ने प्रदर्शित किया कि प्रकाश अभिक्रिया बहुत तेजी से होती है तथा अप्रदीप्त अभिक्रिया (dark reaction) आपेक्षित मन्द गति से होती है । प्रकाश अभिक्रिया में बने उत्पाद (products) परिवर्तनशील हैं । अर्थात् यदि वे तुरन्त अप्रदीप्त अभिक्रिया में उपयोग नहीं होते हैं तो व (decompose) हो जाते हैं ।

वान नील ( C. B. Van Niel , 1924 ) – ने दो अभिक्रियाओं के आधार पर प्रकाश संश्लेषण की क्रिया विधि प्रस्तावित की । उन्होंने सुझाव दिया कि जल CO, के साथ प्रतिक्रिया करने के बजाय H + आयन तथा इलेक्ट्रॉन प्रदान करता है जो कि CO2 का पचयन (reduction) करते हैं ।

2H₂0 +light —-> O2 + 4 [ H ]

4 [ H ] + CO2 —-> [CH2O] + H₂0

रुवन व कामैन (S. Ruben and K. D. Kamen 1941) – ने समस्थानिक (isotopic) ऑक्सीजन (18O2) के प्रयोग से प्रमाणित किया कि प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न 02 जल से आती है ।

2H 18O + CO2 + light —-> 18O2 + (CH2O) + H₂O

यदि प्रकाश संश्लेष सामान्य H₂O और CO2 में होती है तो सामान्य आक्सीजन निकलती है ।

2H₂O + C18O2 —-> 18O2 + (CH₂ 18O) + H₂O

हिल (R. Hill, 1937) – सर्वप्रथम विलगित क्लोरोप्लास्ट में प्रकाश संश्लेषण की कुछ अभिक्रिया करने में सफल हुये । इस अभिक्रिया में उन्होंने O₂ उत्पन्न की तथा साथ – साथ प्रकाश में इलेक्ट्रॉन ग्राही (electron acceptor) पचित (reduce) हुआ । इस प्रक्रिया (प्रकाश जभिक्रिया) को हिल अभिक्रिया (hill reaction) भी कहते हैं । हालाँकि हिल इस अभिक्रिया को CO2 अपचन से नहीं जोड़ पाये परन्तु इस से प्रकाश अभिक्रिया स्पष्ट हुई । ऑक्सीजन प्रकाश अभिक्रिया में निकलती हैं तथा जल से आती हैं ।

कालविन ( M. Calvin, 1956 , 60 ) – ने 14CO, के उपयोग से यह प्रदर्शित किया कि अप्रदीप्त अभिक्रिया अन्धेरे में भी हो सकती है तथा बाद में उन्होंने प्रकाश संश्लेषण में कार्बन पथ का आविष्कार किया जिसे “कालबिन चक्र (calvin cycle)” कहते हैं ।

आरनौन एवं साथियों (Arnon & Co workes 1955-1960 ) – ने प्रदर्शित किया कि प्रकाश अभिक्रिया के दो उत्पाद, ATP तथा NADPH होते हैं तथा इन दो उच्च ऊर्जा यौगिकों का अप्रदीप्त अभिक्रिया में CO2 के अपचन में उपयोग होता है ।

हिल एवं बिन्डाल (Hill and Bendall 1960 ) – ने सुझाव दिया की प्रकाश अभिक्रिया दो पगीय इलेक्ट्रॉन संवहन तन्त्र (Electron Transport System) प्रक्रिया होती है । पहले पग में H₂O से इलेक्ट्रॉन्स प्रारम्भिक स्तर (ground level) से मध्य स्तर तक उठते हैं जिसमें ऑक्सीजन निकलती है तथा दूसरे पग में वे H₂ अपचन स् (H₂ reducing level) तक उठते हैं जिसमें NADPH का निर्माण होता है ।

प्रथम पग के शीर्ष स्तर से इलेक्ट्रॉन का स्थान्तरण दूसरे पग के तल (bottom) तक विभव में न्यूनता ETS द्वारा होती है जिसमें क्लोरोप्लास्ट में उपस्थित दो ज्ञात साइटोक्रोम, साइटोक्रोम b6 (Eo = 0.0V) तथा साइटोक्रोम f (Eo = + 0 : 37V) होते हैं । इलेक्ट्रॉन संवहन में ATP उत्पन्न होती है । क्लोरोफिल द्वारा अवशोषित प्रकाश ऊर्जा जल से इलेक्ट्रॉन निवर्त करने में उपयोग होती है (जिसके कारण O2 निकलती है) तथा उन्हें दो पगीय संवहन प्रक्रिया में अपचन स्तर (reducing level) पर लाती है जिससे CO2 का अपचन होता है।

प्रकाश संश्लेषण से संबन्धित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर

Some important questions and their answers related to Photosynthesis in Hindi (FAQs)

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण क्रिया क्या है

उत्तर :- हरे पौधों में भोजन बनाने की यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण द्वारा होती है। हरे पौधे अपना भोजन बनाने के लिये सरल पदार्थों से जटिल पदार्थ बनाते हैं। वे ऐसा सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा लेकर करते हैं इसीलिए इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते हैं।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया कैसे होती है

उत्तर :- प्रकाश संश्लेषण (Photo = प्रकाश; Synthesis = जोड़ना, संश्लेषण) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा हरे पौधे सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल एवं कार्बन डाईआक्साइड के संयोग से कार्बोहाइड्रेटों का निर्माण करते हैं तथा इस प्रक्रिया में उप-उत्पाद (By-product) के रूप में ऑक्सीजन निर्मुक्त होती है।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण क्या है Class 10?

उत्तर :- प्रकाश संश्लेषण वह प्रक्रिया है जिसमें प्रकाश ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा में बदल जाती है। प्रकाश की ऊर्जा का इस्तेमाल करके कार्बन डाइऑक्साइड और पानी से शर्करा जैसे कार्बोहाइड्रेट का संश्लेषण होता हैं।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण कहाँ पाया जाता है?

उत्तर :- पौधों में प्रकाश संश्लेषण आमतौर पर पत्तियों में होता है। यह प्रक्रिया क्लोरोप्लास्ट में मौजूद हरे रंगद्रव्य जिसे क्लोरोफिल कहते हैं, इसके दवारा सक्षम होती है, जो सूरज की रोशनी को अवशोषित करती है, यह पत्तियों में पायी जाती है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पौधों को अपने लिए खाना बनाने में सहायता करती है।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण और श्वसन का सामान्य उत्पाद क्या है

उत्तर :- प्रकाश-संश्लेषण एवं श्वसन की क्रियाएं एक दूसरे की पूरक एवं विपरीत होती हैं। प्रकाश-संश्लेषण में कार्बनडाइऑक्साइड और जल के बीच रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप ग्लूकोज का निर्माण होता है तथा ऑक्सीजन मुक्त होती है। श्वसन में इसके विपरीत ग्लूकोज के ऑक्सीकरण के फलस्वरूप जल तथा कार्बनडाइऑक्साइड बनती हैं।

प्रश्न :- पादप कोशिका के अन्दर कौन कौन से प्रकाश संश्लेषी वर्णक पाये जाते हैं?

उत्तर :- पादप कोशिका के अन्दर क्लोरोफिल ( पत्तियों का हरा वर्णक), प्रकाश तथा कार्बनडाइऑक्साइड (CO2 ) प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।

प्रश्न :- पतियों को प्रकाश संश्लेषी अंग क्यों कहा जाता है

उत्तर :- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया शुरू से अंत तक क्लोरोप्लास्ट में ही होती है। क्लोरोप्लास्ट में क्लोरोफिल वर्णक पाये जाते हैं। ये अधिकांश पौधे की पत्तियों में पाये जाते हैं। इसलिए पत्तियों को प्रकाश संश्लेषी अंग कहते हैं।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण कब होता है दिन में या रात में

उत्तर :- प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) की प्रक्रिया दिन में सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में होता है।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषी वर्णक क्या है?

उत्तर :- पादपों में उपस्थिति वर्णक जो सूर्य की प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। प्रकाश संश्लेषण वर्णक कहलाते हैं। विभिन्न पादपों में तीन प्रकार के प्रकाश संश्लेषण वर्णक पाए जाते हैं।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण का प्रथम चरण क्या है?

उत्तर :- प्रकाश संश्लेषण के प्रथम चरण मे प्रकाश अभिक्रिया सूर्य के प्रकाश के अवशोषण से शुरु होती है और यह अभिक्रिया केंद्र के एक इलेक्ट्रॉन को उत्तेजित अवस्था में लाती है। चूंकि अभिक्रिया केंद्र एक विशेष पर्णहरित-a अणु है इसलिए प्रकाश अभिक्रिया में पहला चरण उत्तेजना है और पर्णहरित-a से एक इलेक्ट्रॉन मुक्त होता है।

प्रश्न :- प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कौन सी गैस मुक्त होती है?

उत्तर :- व्याख्या-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में पौधे कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) गैस का अवशोषण यानि सोखते हैं, क्योंकि कार्बन डाईऑक्साइड तथा जल की अभिक्रिया के परिणामस्वरूप कार्बोहाइड्रेट तथा ऑक्सीजन गैस का निर्माण होता है। यानि इस प्रक्रिया मे ऑक्सीजन गैस मुक्त होती है।

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