आज के इस पोस्ट मे कुतुब मीनार की इतिहास निर्माण विवाद और रोचक तथ्य History of Qutub Minar Controversy and Interesting Facts in Hindi के बारे मे जानेगे।
कुतुब मीनार की इतिहास निर्माण विवाद और रोचक तथ्य
History of Qutub Minar Controversy and Interesting Facts in Hindi
कुतुब मीनार भारत के दिल्ली के महरौली में स्थित विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। जो की 72.5 मीटर (239.5 फीट) ऊंची है। इसमें कुल 379 सीढ़ियां हैं। इसका आधार 14.32 मीटर ऊंचा और सबसे ऊपर का हिस्सा 2.75 मीटर ऊंचा है। भारत का दिल कहे जानी वाली दिल्ली में ऐसी कई प्राचीन इमारते स्थित है। जहा पर पर्यटक घूमने के लिए आते और उनके इतिहास को जानने की कोशिश करते है। इन पुरानी इमारतों में से एक है क़ुतुब मीनार जो अब भारत के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलो में से है।
दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित क़ुतुब मीनार हिंदू-मुग़ल के इतिहास का एक बहुत ही पुराना और खास हिस्सा है। जिसको यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने धरोहरों में शामिल किया गया है। कुतुब मीनार के ऊपरी भाग पर खड़े होकर दिल्ली शहर को देखने से बहुत ही शानदार दृश्य दिखाई देता है। कुतुब मीनार के बगल में एक दूसरी मीनार भी बनाई गई है जिस “अलाई मीनार” कहते हैं। कुतुबमीनार को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है। पर्यटकों के बीच में यह काफी प्रसिद्ध है। इस पोस्ट के माध्यम से आज हम आपको विश्व की सबसे ऊँची मीनार यानी “कुतुब मीनार” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे है
कुतुब मीनार परिचय
Qutub Minar Introduction in Hindi
पर्यटन स्थल का नाम (Tourist Destination Name) :- क़ुतुब मीनार (Qutb Minar)
अवस्थित (Located) :- मेहरौली (दिल्ली)
नींव (Foundation) :- कुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा 12वीं शताब्दी ई. में
निर्माण (Construction) :- 13वी शताब्दी ई.
जीर्णोद्धार :- मुहम्मद बिन तुगलक एवं फिरोज शाह तुगलक द्वारा
ऊंचाई (Height) :- लगभग 234 फीट (72.5 मीटर)
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल :- 1993, ( कुतुब मीनार और उसके स्मारकों)
पत्थरों का प्रकार :- लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित
लिखावट और सजावट :- सतह पर कुरान के आयतों से महीन अरबी
सजावट स्थापत्य शैली (Architectural Style) :- इस्लामी वास्तुकला
संदर्भ संख्या :- 233
प्रवेश शुल्क (Entrance Fees) :- 40 (भारतीय), 600 (विदेशी)।
समान कहा से लाया :- 27 हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद जो कचरा प्राप्त होता है उससे उसे बनाया गया है।
दूसरा नाम :- विष्णु ध्वज या विष्णु स्तम्भ या ध्रुव स्तम्भ
मुख्य प्रवेशद्वार :- अलाई दरवाजा
कुतुब मीनार की इतिहास
History of Qutub Minar in Hindi
अफ़गानिस्तान में स्थित, जाम की मीनार (Minaret of Jam) से प्रेरित एवं उससे आगे निकलने की इच्छा से, दिल्ली के प्रथम मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक, कुतुब मीनार का निर्माण सन 1199 में ने आरम्भ करवाया, परन्तु केवल इसका आधार ही बनवा पाया। उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों को बढ़ाया और सन 1368 में फीरोजशाह तुगलक ने पाँचवीं और अन्तिम मंजिल बनवाई।
क़ुतुब मीनार का इतिहास 800 सौ साल पुराना हैं। कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 में क़ुतुब मीनार का निर्माण शुरू करवाया था और उसके दामाद एवं उत्तराधिकारी शमशुद्दीन इल्तुतमिश ने 1368 में इसे पूरा कराया। इस इमारत का नाम ख़्वाजा क़ुतबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया। मीनार के चारों ओर बने अहाते में भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने हैं, जिनमें से अनेक इसके निर्माण काल सन 1193 या पूर्व के हैं।
वैसे तो भारत में क़ुतुब मीनार के इतिहास के बारे में कोई ठोस दस्तावेज नहीं है। लेकिन क़ुतुब मीनार को जिस इंसान ने बनाया था उसका नाम बख्तियार काकी था। वह एक सूफी संत था। दूसरी और इस मीनार के बारे में ऐसा भी बताया जाता है की राजपूत मीनार से प्रेरणा लेकर इस मीनार बनवाया गया था।
कहते है की क़ुतुब मीनार पर लिखे कुछ अंश पारसी-अरेबिक और नागरी भाषाओँ के है इस मीनार के इतिहास को लेकर यह जानकारी फ़िरोज़ शाह तुगलक और सिकंदर लोदी से प्राप्त हुई है।
कुतुब मीनार के उत्तरी तरफ में एक कुव्वत-उल-इस्लाम के नाम से मस्जिद भी स्थापित है। जिसका निर्माण संन 1192 में क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने करवाया था। इस मस्जिद को भारत की काफी पुराणी मस्जिद बताया जाता है बाद में इस मस्जिद के निर्माण को क़ुतुब-उद-दिन ऐबक के पोते इल्तुमिश ने पूरा कराया था और अला-उद-दिन ख़िलजी ने मस्जिद का विकास करवाया था। इसके बाद यह मीनार प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई बार क्षतिग्रस्त हुई जिसे फिरोज शाह तुगलक ने मरम्मत करके ठीक करवाया। बाद में मुगल शासक शेरशाह सूरी ने इसमें एक मंजिल और जोड़कर इसे आज का रूप दिया।
इस मीनार के निर्माण उद्देश्य के बारे में कहा जाता है कि यह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद से अजान देने, निरीक्षण एवं सुरक्षा करने या इस्लाम की दिल्ली पर विजय के प्रतीक रूप में बनी। इसके नाम के विषय में भी विवाद हैं। कुछ पुरातत्व शास्त्रियों का मत है कि इसका नाम प्रथम तुर्की सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर पडा, वहीं कुछ यह मानते हैं कि इसका नाम बग़दाद के प्रसिद्ध ख़्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर है, जो भारत में वास करने आये थे। इल्तुतमिश उनका बहुत आदर करता था, इसलिये कुतुब मीनार को यह नाम दिया गया।
इसके शिलालेख के अनुसार, 1369 में क़ुतुब मीनार की सबसे ऊँची मंजिल पर बिजली कड़की और इससे मंजिल पूरी तरह गिर गयी थी। इसीलिये फिरोज शाह तुग़लक़ ने फिर कुतुब मीनार के पुर्ननिर्माण का काम करना शुरू किया और वे हर साल 2 नयी मंजिल बनाते थे।
1505 में एक भूकंप की वजह से क़ुतुब मीनार को काफी क्षति पहुंची और बाद में सिकंदर लोदी ने ठीक किया था। 1 अगस्त 1903 को एक और भूकंप आया, और फिर से क़ुतुब मीनार को क्षति पहुंची, लेकिन फिर ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने 1928 में उसको ठीक किया और साथ ही कुतुब मीनार के सबसे ऊपरी भाग पर एक गुम्बद भी बनवाया। लेकिन बाद में पकिस्तान के गवर्नल जनरल लार्ड हार्डिंग के कहने पर इस गुम्बद को हटा दिया गया और उसे क़ुतुब मीनार के पूर्व में लगाया गया था।
कहा जाता है की कुतुब मीनार का आर्किटेक्चर तुर्की के आने से पहले भारत में ही बनाया गया था। लेकिन क़ुतुब मीनार के सम्बन्ध में इतिहास में कोई भी दस्तावेज नही मिलता है। लेकिन कथित तथ्यों के अनुसार इसे राजपूत मीनारों से प्रेरीत होकर बनाया गया था। पारसी-अरेबिक और नागरी भाषाओ में भी हमें क़ुतुब मीनार के इतिहास के कुछ अंश दिखाई देते है,
क़ुतुब मीनार कई इतिहासिक धरोहरो से घिरा हुआ है, ये इतिहासिक रूप से क़ुतुब मीनार कॉम्पलेक्स से जुड़े हुए है। इसमें दिल्ली का आयरन पिल्लर, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, द टॉम्ब ऑफ़ इल्युमिश, अलाई मीनार, अला-उद-दिन मदरसा और इमाम ज़मीन टॉम्ब शामिल है. और भी दूसरी छोटी-मोटी इतिहासिक धरोहर शामिल है।
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कुतबमीनार का निर्माण कब और किसने करवाया था
When and by whom was the Qutb Minar built in Hindi
भारत की सबसे ऊंची मीनार कुतुब मीनार दिल्ली के महरौली इलाके में छत्तरपुर मंदिर के पास स्थित है। यह विश्व की दूसरी सबसे ऊंची मीनार है, जिसका निर्माण 12वीं और 13वीं शताब्दी के बीच में कई अलग-अलग शासकों द्धारा करवाया गया हैं।
1193 ईसवी में दिल्ली के पहले मुस्लिम एवं गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा कुतुबमीनार का निर्माण काम शुरु करवाया गया था। उन्होंने कुतुबमीनार की नींव रख सिर्फ इसका बेसमेंट और पहली मंजिल बनवाई थी।
कुतुबुद्धीन ऐबक के शासनकाल में इस भव्य इमारत का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका था, जिसके बाद कुतुब मीनार की इमारत का निर्माण दिल्ली के सुल्तान एवं कुतुब-उद-दिन ऐबक के उत्तराधिकारी और पोते इल्तुमिश ने करवाया था, उन्होंने इस ऐतिहासिक इमारत मीनार की तीन और मंजिलें बनवाईं थी।
जबकि, साल 1368 ईसवी में एशिया की इस सबसे ऊंची मीनार की पांचवी और अंतिम मंजिल का निर्माण फिरोज शाह तुगलक के द्धारा करवाया गया थी।
वहीं 1508 ईसवी में आए भयंकर भूकंप की वजह से कुतुब मीनार की इमारत काफी क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसके बाद लोदी वंश के दूसरे शासक सिकंदर लोदी के द्धारा इस मीनार की सुध ली गई थी और इसकी मरम्मत करवाई गई थी।
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ऐतिहासिक मीनार कुतुब- मीनार का नाम कैसे पड़ा
Historical Minar Qutub – How did the Minar get its name in Hindi
करीब 73 मीटर ऊंची भारत की इस सबसे ऊंची और भव्य मीनार के नाम को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस भव्य मीनार का नाम गुलाम वंश के शासक और दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक कुतुब-उद-दिन ऐबक के नाम पर रखा गया है। कुतुब’ शब्द का अर्थ है ‘न्याय का ध्रुव’।
जबकि कुछ इतिहासकारों के मुताबिक मुगलकाल में बनी इस भव्य इमारत का नाम मशहूर मुस्लिम सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था।
इस भव्य मीनार के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर और मार्बल का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें अंदर गोल करीब 379 सीढ़ियां हैं। इसके साथ ही आपको बता दें कि कुतुबमीनार की अदभुत इमारत जाम की मीनार से प्रेरित होकर बनाई गई थी।
कुतब मीनार की अद्भुत बनावट एवं शानदार संरचना
Amazing architecture and magnificent structure of Qutub Minar in Hindi
- 12वीं-13वीं सदी के बीच में बनी इस मुगलकालीन वास्तुकला की सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के कई शासकों द्धारा करवाया गया है, इसे इतिहास में विजय मीनार के नाम से भी जाना जाता है।
- दिल्ली में स्थित इस मीनार के परिसर में कई अन्य अद्धितीय ऐतिहासिक स्मारक भी स्थित हैं, जो कि इस ऐतिहासिक मीनार के आर्कषण को दो गुना करती हैं।
- भारत में बनी इस ऐतिहासिक मीनार की भव्यता और आर्कषण के चर्चे तो दुनिया भर में हैं, क्योंकि जो भी इस मीनार को देखता है, इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता है।
- इस अद्भुत कुतुबमीनार के निर्माण में मुगलकालीन वास्तु शैली का इस्तेमाल किया गया है। मध्यकालीन भारत में बनी इस इमारत को मुगल काल की वास्तुकला की सबसे सर्वश्रेष्ठ इमारत भी माना जाता है, क्योंकि वास्तुकारों और शिल्पकारों ने छोटी-छोटी बारीकियों को ध्यान में रखकर इस मीनार की बेहद खूबसूरत नक्काशी की है।
- दिल्ली में स्थित मुगल काल में बनी कुतुबमीनार एक बहुमंजिला इमारत हैं, जिसकी 5 अलग-अलग मंजिल हैं, जिसमें हर मंजिल के सामने एक बॉलकनी भी बनी हुई है।
- इस मीनार की खास बात यह है कि कुतुबमीनार की मंजिलों का निर्माण अलग-अलग शासकों द्धारा करवाया गया है।
- 1193 ईसवी में दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्धीन ऐबक ने इस भव्य मीनार की ग्राउंड और सबसे पहली मंजिल का निर्माण करवाया था, जबकि अन्य मंजिलों का निर्माण इल्तुतमिश और फिरोजशाह तुगलक द्धारा करवाया गया, जबकि इस मीनार के पुर्ननिर्माण का कार्य लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने करवाया था।
- भारत की भव्य कुतुबमीनार की पहली तीन मंजिलों का निर्माण सिर्फ लाल बलुआ पत्थर से किया गया था, जबकि इसकी चौथी और पांचवी मंजिल का निर्माण में संगममर (मार्बल) एवं लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। करीब 73 मीटर ऊंची कुतुब- मीनार की हर मंजिल की बनावट पर खास ध्यान दिया गया है।
- मीनार की हर मंजिल में बेहद शानदार शिल्पकारी की गई है, जिसकी खूबसूरती को देखते ही बनता है, वहीं भारत की इस सबसे ऊंची मीनार की सबसे आखिरी मंजिल से पूरे दिल्ली शहर का शानदार और अद्भुत नजारा दिखाई देता है।
- दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित इस भव्य मीनार के निर्माण में संगममर और लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हैं। कुछ इतिहासकारों की माने तो इस ऐतिहासिक मीनार को बनाने के लिए करीब 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर पत्थर उपलब्ध करवाए गए थे।
- वहीं एशिया की इस भव्य इमारत के पत्थरों पर बनी कुरान की आयतें कुतुबमीनार की सुंदरता को चार चांद लगाती हैं और इसके आर्कषण को और अधिक बढ़ाने का काम करती हैं।
- देश की सबसे ऊंची मीनार का इस्तेमाल पहले मस्जिद की मीनार के रुप में किया जाता था, और वहीं से अजान दी जाती थी, हालांकि बाद में यह एक पर्यटन स्थल के तौर पर मशहूर हो गया।
- इस मीनार के निर्माण में नागरी और अरबी लिपि के कई शिलालेखों का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही इस भव्य मीनार की संरचना एवं बनावट को राजपूत टावरों से प्रेरित होकर बनाया गया था।
- भारत की इस खूबसूरत इमारत के आधार का व्यास करीब 14.3 मीटर और सबसे ऊंचे शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है।
- जबकि इन्डो-इस्लामिक शैली में बनाई गई कुतुब मीनार की लंबाई 73 मीटर लंबी है, जिसके अंदर गोलाकार करीब 379 सीढि़यां बनीं हुईं हैं, जो कि इस पूरी इमारत की ऊंचाई तक जाती हैं।
- भारत की यह सबसे ऊंची इमारत कुतुबमीनार एक भारी परिसर में बनी हुई है, जिसके आसपास कई अद्धितीय ऐतिहासिक इमारतें भी स्थित हैं।
- कुतुब परिसर में दिल्ली सल्तनत के पहला सुल्तान एवं गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक द्धारा बनाई गई हिन्दुस्तान की पहली मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम, मशहूर अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश का मकबरा समेत एक लौह स्तंभ भी है।
- जिसका निर्माण गुप्त सम्राज्य के चंद्रगुप्त द्वितीय द्वारा करीब 2 हजार साल से भी पहले करवाया गया था, लेकिन इसकी खासियत यह है कि इतने सालों बाद में इस लौह स्तंभ (आयरन पिलर) में किसी तरह की जंग नहीं लगी हुई है।
भारत की ऐतिहासिक विरासत एवं प्रमुख पर्यटन स्थल कुतुबमीनार
India’s historical heritage and major tourist destination Qutub Minar in Hindi
करीब 73 मीटर ऊंची यह भव्य मीनार मुगलकालीन स्थापत्य कला की सबसे महान कृतियों में से एक है, जो कि अपनी बेहतरीन कारीगरी और सुंदर नक्काशी के लिए जानी जाती है। कुतुबमीनार पांच मंजिलों वाली एक बहुमंजिला इमारत है।
यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जिसकी भव्यता को देखने दुनिया के कोने-कोने से बड़ी संख्या में सैलानी हर साल आते हैं और इसकी सुंदर बनावट और विशालता की तारीफ करते हैं।
कुतुब मीनार के परिसर में इल्तुतमिश का मकबरा, अलाई दरवाजा, अलाई मीनार, मस्जिदें आदि इस मीनार के आर्कषण को बढ़ाती हैं। वहीं शंक्काकार आकार में बनी इस भव्य मीनार में की गई शानदार कारीगरी और बेहतरीन नक्काशी पर्यटकों को अपनी तरफ खीचती हैं।
इंडो-इस्लामिक वास्तु शैली द्धारा निर्मित इस ऐतिहासिक मीनार की खूबसूरती को देखते ही बनता है।इस बहुमंजिला मीनार की वजह से भारत के पर्यटन विभाग को भी हर साल खासा मुनाफा होता है। कुतुबमीनार को देखने हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं, जिससे भारत में टूरिज्म को भी काफी बढ़ावा मिलता है।
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कुतब मीनार मे स्थित लौह स्तंभ
Iron Pillar in Qutab Minar in Hindi
इस मस्जिद के अहाते में 7.2 मीटर ऊंचा लौह स्तंभ स्थित है। इसे चौथी शताब्दी में गुप्त वंश में चंद्रगुप्त द्वितीय ने बनवाया था। इस स्तंभ के सबसे ऊपरी भाग में हिंदू देवता गरुड़ का चित्र बना हुआ है। इस स्तंभ का लगभग 98% भाग लोहे का है, इसके बावजूद यह पिछले 1600 सालों से बिना जंग लगे मजबूती से खड़ा हुआ है।
यह स्तंभ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई हाथों को पीछे करके इस स्तंभ को दोनों हाथों से घेरकर छु पाता है उसकी इच्छा पूरी हो जाती है।
कुतुब मीनार मे स्थित अन्य इमारते
Other buildings in Qutub Minar in Hindi
क़ुतुब मीनार कई बड़ी ऐतिहासिक इमारतों से घिरा हुआ है और ये सभी कुतुब कंपलेक्स के अंतर्गत आती हैं। इस कांप्लेक्स में दिल्ली का लौह स्तंभ, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र, इमाम जमीन की कब्र और सेंडरसन का सन डायल जैसी इमारतें हैं, जिन्हें देखना सैलानियों को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
कुतुब मीनार से जुड़े रोचक तथ्य
Interesting facts about Qutub Minar in Hindi
तो चलिये कुतुब मीनार से जुड़े रोचक तथ्य (Interesting facts about Qutub Minar in Hindi) को जानते है :-
- 12वीं-13वीं सदी के बीच में बनी इस मुगलकालीन वास्तुकला की सर्वश्रेष्ठ ऐतिहासिक मीनार का निर्माण दिल्ली सल्तनत के कई शासकों द्धारा करवाया गया है, इसे इतिहास में विजय मीनार के नाम से भी जाना जाता है।
- दिल्ली में स्थित इस मीनार के परिसर में कई अन्य अद्धितीय ऐतिहासिक स्मारक भी स्थित हैं, जो कि इस ऐतिहासिक मीनार के आर्कषण को दो गुना करती हैं।
- भारत में बनी इस ऐतिहासिक मीनार की भव्यता और आर्कषण के चर्चे तो दुनिया भर में हैं, क्योंकि जो भी इस मीनार को देखता है, इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता है।
- आपको बता दें कि इस अद्भुत कुतुबमीनार के निर्माण में मुगलकालीन वास्तु शैली का इस्तेमाल किया गया है। मध्यकालीन भारत में बनी इस इमारत को मुगल काल की वास्तुकला की सबसे सर्वश्रेष्ठ इमारत भी माना जाता है, क्योंकि वास्तुकारों और शिल्पकारों ने छोटी-छोटी बारीकियों को ध्यान में रखकर इस मीनार की बेहद खूबसूरत नक्काशी की है।
- दिल्ली में स्थित मुगल काल में बनी कुतुबमीनार एक बहुमंजिला इमारत हैं, जिसकी 5 अलग-अलग मंजिल हैं, जिसमें हर मंजिल के सामने एक बॉलकनी भी बनी हुई है।
- इस Kutub Minar की खास बात यह है कि कुतुबमीनार की मंजिलों का निर्माण अलग-अलग शासकों द्धारा करवाया गया है।
- 1193 ईसवी में दिल्ली के सुल्तान कुतुबुद्धीन ऐबक ने इस भव्य मीनार की ग्राउंड और सबसे पहली मंजिल का निर्माण करवाया था, जबकि अन्य मंजिलों का निर्माण इल्तुतमिश और फिरोजशाह तुगलक द्धारा करवाया गया, जबकि इस मीनार के पुर्ननिर्माण का कार्य लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने करवाया था।
- आपको बता दें कि भारत की भव्य कुतुबमीनार की पहली तीन मंजिलों का निर्माण सिर्फ लाल बलुआ पत्थर से किया गया था, जबकि इसकी चौथी और पांचवी मंजिल का निर्माण में संगममर (मार्बल) एवं लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
- करीब 73 मीटर ऊंची कुतुब- मीनार की हर मंजिल की बनावट पर खास ध्यान दिया गया है। मीनार की हर मंजिल में बेहद शानदार शिल्पकारी की गई है, जिसकी खूबसूरती को देखते ही बनता है, वहीं भारत की इस सबसे ऊंची मीनार की सबसे आखिरी मंजिल से पूरे दिल्ली शहर का शानदार और अद्भुत नजारा दिखाई देता है।
- दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित इस भव्य मीनार के निर्माण में संगममर और लाल बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया हैं। कुछ इतिहासकारों की माने तो इस ऐतिहासिक मीनार को बनाने के लिए करीब 27 हिन्दू मंदिरों को तोड़कर पत्थर उपलब्ध करवाए गए थे।
- वहीं एशिया की इस भव्य इमारत के पत्थरों पर बनी कुरान की आयतें कुतुबमीनार की सुंदरता को चार चांद लगाती हैं और इसके आर्कषण को और अधिक बढ़ाने का काम करती हैं।
- देश की सबसे ऊंची मीनार का इस्तेमाल पहले मस्जिद की मीनार के रुप में किया जाता था, और वहीं से अजान दी जाती थी, हालांकि बाद में यह एक पर्यटन स्थल के तौर पर मशहूर हो गया।
- इस मीनार के निर्माण में नागरी और अरबी लिपि के कई शिलालेखों का इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही इस भव्य मीनार की संरचना एवं बनावट को राजपूत टावरों से प्रेरित होकर बनाया गया था।
- भारत की इस खूबसूरत इमारत के आधार का व्यास करीब 3 मीटर और सबसे ऊंचे शीर्ष का व्यास 2.7 मीटर है।
- जबकि इन्डो-इस्लामिक शैली में बनाई गई कुतुब मीनार की लंबाई 73 मीटर लंबी है, जिसके अंदर गोलाकार करीब 379 सीढि़यां बनीं हुईं हैं, जो कि इस पूरी इमारत की ऊंचाई तक जाती हैं।
- आपको बता दें कि भारत की यह सबसे ऊंची इमारत कुतुबमीनार एक भारी परिसर में बनी हुई है, जिसके आसपास कई अद्धितीय ऐतिहासिक इमारतें भी स्थित हैं।
- कुतुब परिसर में दिल्ली सल्तनत के पहला सुल्तान एवं गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबद्दीन ऐबक द्धारा बनाई गई हिन्दुस्तान की पहली मस्जिद कुव्वत-उल-इस्लाम, मशहूर अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश का मकबरा समेत एक लौह स्तंभ भी है।
- क़ुतुब मीनार के परिसर में लगभग 2000 साल पुराना लोहे का एक खंभा लगा हुआ है जिसमे आज तक जरा सा भी जंग नहीं लगा है। यह भी अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है क्योकि अपने भी अक्सर देखा होगा की लोहे में कुछ टाइम बाद जंग लग्न शुरू हो जाता है लेकिन इस खम्बे में जरा सा भी जंग नहीं लगा।
- यह मीनार भारत की सबसे ऊंची मीनार है लेकिन आपको एक बात बतादे की यह मीनार बिलकुल सीधी नहीं है। कई बार इस ईमारत की मरम्मत हो चुकी है जिस कारन यह एक तरफ को थोड़ी सी झुकी हुई है।
- भारत की सबसे ऊँची इमारत क़ुतुब मीनार, जिसको ईंटों से बनी विश्व की सबसे ऊँची इमारत भी कहा जाता है।
- इस मीनार के अंदर 379 गोलाकार सीढ़ियाँ बनी हुई है जो की ईमारत के निचले हिस्से से लेकर ऊपर छोटी तक पहुँचती है।
- क़ुतुब मीनार में पांच अलग-अलग मंजिलें हैं,जिसके प्रत्येक मंजिल पर एक प्रोजेक्टिंग बालकनी है।
- भूकंप और बिजली के कड़कने के कारन इस मीनार को काफी बार ठीक कराया गया है।
- क़ुतुब मीनार को बलुआ लाल पथरो का उपयोग करके बनाया गया था।
- कहते है की क़ुतुब मीनार का जो असली नाम था वो विष्णु स्तंभ था जिसको सम्राट चन्द्रगुप्त के नवरत्नों में से एक माना गया है।
कुतुबमीनार हादसे के बाद भीतर एंट्री हुई बंद
Entry inside Qutub Minar closed after the accident in Hindi
सन 1974 से पहले कुतुब मीनार आम लोगों के लिए खुला हुआ था, लेकिन 4 दिसंबर 1981 में यहां आए लोगों के साथ एक भयानक हादसा हुआ, जिसमें भगदड़ के दौरान 45 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद से इस इमारत के भीतरी हिस्से में प्रवेश पूरी तरह से वर्जित कर दिया गया।
कुतुब मीनार से जुड़ी प्रचलित कथा
Legends related to Qutub Minar in Hindi
ऐसा माना जाता है कि क़ुतुब मीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तंभ था जिसे राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक वराहमिहिर ने बनवाया था। उस समय विष्णु स्तंभ का इस्तेमाल खगोलीय गणना और अध्ययन के लिए किया जाता था। वराहमिहिर एक प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक थे।
वे मिहिर के नाम से भी जाने जाते थे। जब मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक का शासन काल आया तो उसने विष्णु स्तंभ को तोड़कर वहां पर मुस्लिम धर्म के प्रचार के लिए कुतुबमीनार की स्थापना थी।
क़ुतुब मीनार हिंदू और जैन विवाद
Qutub Minar Hindu and Jain Controversy in Hindi
क़ुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद कुतुब मीनार परिसर में बनी है जिसमे दर्जनों हिंदू और जैन मंदिरों के स्तंभों और पत्थरों का इस्तेमाल किया गया। और कुछ हिंदू संगठनों ने तो इसे मस्जिद मानने से इंकार कर दिया और कहा की ये एक मंदिर है इसमें पूजा का अधिकार होना चाहिए।
कुतुब मीनार कैसे पहुंचे
How to reach Qutub Minar in Hindi
कुतुब मीनार भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है,जिसकी दुनिया के हर देश और राज्यों के साथ अच्छी ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी है। दिल्ली में कुतुबमीनार तक मेट्रो ट्रेन के द्धारा भी पहुंचा जा सकता है, इसके सबसे पास कुतुबमीनार मेट्रो स्टेशन है। इसके अलावा यहां सैलानी दिल्ली के लोकल बस के माध्यम से भी पहुंच सकते हैं।
वहीं महरौली जाने वाली सभी बसें कुतुब मीनार को पार करती हैं, क्योंकि महरौली बस स्टैंड कुतुब मीनार मस्जिद के पास स्थित हैं। इसके अलावा ऑटो एवं कैब के माध्यम से भी यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
क़ुतुब मीनार से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर
Some important questions and answers related to Qutub Minar in Hindi
प्रश्न :- कुतुब मीनार में कितनी मंजिल है?
उत्तर :- कुतुब मीनार 5 मंजिल की है जिसमे प्रत्येक मंजिल पर एक बालकनी है।
प्रश्न :- कुतुब मीनार (Qutb Minar) कौनसे पत्थर से बनाई गई है?
उत्तर :- कुतुब मीनार की पहली तीन मंजिली लाल बलुआ पत्थर से बनाई गई हैं और तीसरी और चौथी मंजिल मार्बल और बलुआ पत्थर के मेल से बनी है।
प्रश्न :- Qutub Minar के लोह स्तंभ के बारे में किवदंती क्या है?
उत्तर :- कुतुब मीनार परिसर में 7 मीटर ऊंचा एक लौह स्तंभ है इसके बारे में कहा जाता हैं की अगर आप इसे पीठ लगाकर घेराबंद करते हो तो आपकी मनोकामना पूरी हो जाएगी।
प्रश्न :- कुतुब मीनार का व्यास और ऊंचाई कितनी है?
उत्तर :- Qutub Minar का व्यास आधार पर 14.32 मीटर है और जैसे जैसे ऊपर की ओर जाते है व्यास घटता जाता है और शीर्ष पर 2.75 मीटर हो जाता है। वहीं 72.5 मीटर को लंबाई के साथ ये दुनिया की ईंट से बनी सबसे ऊंची मीनार है.
प्रश्न :- क़ुतुब मीनार कितनी मंजिला इमारत है
उत्तर :- कुतुब मीनार एक 73 मीटर ऊंची मीनार है, जिसका निर्माण 1193 में कुतुब-उद-दीन ऐबक ने दिल्ली के अंतिम हिंदू राज्य की हार के तुरंत बाद करवाया था। इस इमारत में पांच अलग-अलग मंजिलें हैं, प्रत्येक को एक प्रोजेक्टिंग बालकनी और आधार पर 15 मीटर व्यास से शीर्ष पर सिर्फ 2.5 मीटर तक चिह्नित किया गया है।
प्रश्न :- कुतुबमीनार में किस शासक ने कितनी मंजिलें बनवाई
उत्तर :- कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1192 ई० में कुतुबमीनार का आधार (पहली मंजिल) ही बनवाया था। , इल्तुतमिश ने 1220 ई० में कुतुबमीनार में तीन मंजिलों को बढ़ाया। कुतुबमीनार पर बिजली गिरने से इसकी ऊपरी मंजिल नष्ट हो गई थी।
फिरोजशाह तुगलक ने नष्ट हुई मंजिल को फिर से बनवाया और उसके साथ ही कुतुबमीनार में एक नई मंजिल को भी बढ़ाया था। शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में कुतुब मीनार में एक प्रवेश द्वार बनवाया था।
प्रश्न :- कुतुब मीनार में कितनी सीढ़िया है?
उत्तर :- कुतुब मीनार में 379 सीढ़िया है जिससे आपको इसकी विशालता का पता लग जायेगा। लेकिन अब। आपको सीढ़ियों के सहारे मीनार में ऊपर जाने की अनुमति नहीं है।
प्रश्न :- कुतुब मीनार घूमने का सबसे अच्छा समय कब है?
उत्तर :- कुतुब मीनार सप्ताह के सातों दिन खुला रहता है और आप यहां कभी भी जा सकते है लेकिन गर्मियों में दिल्ली की गर्मी आप जानते ही है जिसके कारण सर्दियों में जाना बेहतर होगा।
तो आपको यह पोस्ट कुतुब मीनार का इतिहास निर्माण विवाद और रोचक तथ्य (History of Taj Mahal Controversy and Interesting Facts in Hindi) कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे …
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