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अकबर का इतिहास जीवन परिचय पत्नी युद्ध शासनकाल और मृत्यु | History of Akbar in Hindi

आज के इस पोस्ट मे अकबर का इतिहास History of Akbar in Hindi के बारे मे जानेगे। वैसे तो हिंदुस्तान में सालो तक राज करने वाले मुगलो के इतिहास की कई घटनाये प्रमुख है तो चलिये यहा अकबर का इतिहास जीवन परिचय पत्नी युद्ध शासनकाल और मृत्यु | History of Akbar in Hindi Akbar Biography Jeevan Parichay Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Wife Children, Fight, Mughal Empire Death जानेगे.

अकबर का इतिहास जीवन परिचय पत्नी युद्ध शासनकाल और मृत्यु की पूरी जानकारी

History of Akbar in Hindi

History of Akbar in Hindiप्राचीन समय में भारत पर आक्रमण करने वाले आताताइयों की सूची बेहद लंबी है। जितने भी मुगल आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया है, उन्हें विशेषकर धार्मिक कट्टरता, विस्तार वाद और खून खराबा इत्यादि के लिए याद किया जाता है। लेकिन इतिहास में एक ऐसा भी मुगल बादशाह रहा है, जो अपने निरपेक्षता, बुद्धिमता और शानदार राजनितिक ज्ञान के लिए जाना जाता है। इस लेख में आप अकबर का इतिहास व जीवन परिचय Akbar Life History in Hindi पढ़ेंगे। इसमें अकबर का जन्म, प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, शासन, जोधबाई, मृत्यु जैसी कई जानकारियाँ दी गई है।

मुगल साम्राज्य का मुख्य संस्थापक जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर जो हिंदुस्तान के पूरे इतिहास में सबसे मजबूत और प्रभावशाली मुगल शासक माना जाता है। अकबर को कई नामों से बुलाया जाता था, जिनमें शहंशाह अकबर, अकबर- ए-आज़म और महाबली शहंशाह इत्यादि नाम मुख्य है।

भारत में मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर के बेटे नसीरुद्दीन हुमायूं का पुत्र अकबर था। इतिहासकारों के अनुसार अकबर तीसरा मुगल शासक था, जो तैमूर और मंगोल वंश से ताल्लुक रखता था। अकबर एक ऐसा इकलौता मुगल बादशाह था, जिसने हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों का दिल जीता था।

अकबर का जीवन परीचय

Akbar’s biography in Hindi

पूरा नाम (Full Name of Akbar) :- अबुल-फतह जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर

जन्म (Birthday) :- 15 अक्तुबर, 1542

जन्मस्थान (Birthplace) :- अमरकोट पाकिस्तान

पिता (Father of Akbar) :- हुमांयू

माता (Mother Name) :-  नवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा

शिक्षा (Education) :- अल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विद्या में अत्यंत प्रवीण थे।

विवाह (Wives of Akbar) :- रुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज़-ज़मानि बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत

संतान (Son of Akbar) :- जहाँगीर के अलावा 5 पुत्र 7 बेटियाँ

शासन काल: 27 जनवरी, 1556 से 27 अक्टूबर, 1605 ई. तक

राज्याभिषेक: 16 फ़रवरी, 1556 कलानपुर के पास गुरदासपुर

प्रमुख युद्ध: पानीपत, हल्दीघाटी

राजधानी: फ़तेहपुर सीकरी आगरा, दिल्ली (पूर्व)

पूर्वाधिकारी: हुमायूँ

उत्तराधिकारी: जहाँगीर

राजघराना: मुग़ल

मक़बरा: सिकन्दरा, आगरा

उपाधियां :- अकबर-ए आज़म, शहंशाह अकबर

अकबर का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन

Birth and early life of Akbar in Hindi

अकबर का दादा अफगान शासक बाबर था। बाबर ने ही भारत में मुगल शासन की नींव रखी थी। अकबर के पिता का नाम हुमायूं और माता का नाम हमीदा बानो था। शेरशाह सूरी ने अकबर के पिता हुमायूं को 1539 में चौसा एवं 1540 में कन्नौज (बिलग्राम) के युद्ध में हरा दिया था। इस हार के बाद हुमायूं सिंध की तरफ कूच कर गया। इस दौरान उसने शेख अली अकबर जानी की पुत्री हमीदा बानो से निकाह कर लिया। मात्र 15 वर्ष की उम्र में हमीदा बानो ने अकबर को जन्म दिया।

अकबर का जन्म अमरकोट में राणा वीर साल के महल में 15 अक्टूबर 1542 को हुआ था। अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था। इनका वंश तैमूर और मंगोल नेता चंगेज खां से संबंधित था। अर्थात उसके वंशज तैमूर लंग के खानदान से संबंधित थे और मातृ पक्ष चंगेज खां से संबंधित था।

अकबर (Akbar) का जन्म पूर्णिमा की रात में हुआ था इसलिए उनका नाम बदरुद्दीन मोहम्मद अकबर रखा गया था। बद्र का अर्थ होता है पूर्ण चंद्रमा. उसका अकबर नाम उनके नाना शेख अली अकबर जामी के नाम से लिया गया था। कहा जाता है कि काबुल पर विजय मिलने के बाद उनके पिता हुमायूँ ने अकबर को बुरी नज़र से बचाने के लिए अकबर की जन्म तिथि एवं नाम बदल दिए थे।

कुछ किवदंतियों के अनुसार यह भी माना जाता है कि भारत की जनता ने अकबर के सफल एवं कुशल शासन के लिए उसे अकबर नाम से सम्मानित किया था। अरबी भाषा मे अकबर शब्द का अर्थ “महान” या बड़ा होता है। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म अर्थात अकबर महान, शहंशाह अकबर, या महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है।

बादशाह का बचपन शिकार एवं युद्ध कला में ही बिता और शिक्षा के नाम पर उसने कुछ भी हासिल नहीं किया। दोस्तों क्या आपको मालूम है कि अकबर बचपन में मरते- मरते बचा था जब हुमायूं और कामरान के बीच कंधार को लेकर युद्ध के दौरान हुमायूं की तोपें कंधार के किले पर आग बरसा रही थी उसी समय कामरान ने अकबर को किले की दीवार पर लटका दिया था परंतु सौभाग्य से वह बच गया।

1551 में बादशाह ने अपने चाचा हिन्दल मिर्जा की पुत्री की पुत्री रूकिया सुल्तान बेगम से निकाह कर लिया।

अकबर का बचपन

Akbar’s childhood in Hindi

अकबर के जन्म के समय उसका पिता हुमायूँ एक पश्तून नेता शेरशाह सूरी के डर से एक राजपूत राजा के यहाँ शरण लिए हुए था. लगातार अपनी स्थिति बदलते रहने के कारण फारस में अज्ञातवास के समय हुमायूँ अकबर को वह अपने संग नहीं ले गया वरन रीवां (वर्तमान मध्य प्रदेश) के राज्य के एक ग्राम मुकुंदपुर में छोड़ गया। अकबर की वहां के राजकुमार राम सिंह प्रथम से, जो आगे चलकर रीवां का राजा बना, के संग गहरी मित्रता हो गयी थी। ये एक साथ ही पले और बढ़े और आजीवन मित्र रहे।

कालांतर में अकबर सफ़ावी साम्राज्य (वर्तमान अफ़गानिस्तान का भाग) में अपने एक चाचा मिर्ज़ा अस्कारी के यहां रहने लगा। पहले वह कुछ दिनों कंधार में और फिर बाद में काबुल में रहा। हुमायूँ की अपने छोटे भाइयों से बराबर ठनी ही रही इसलिये चाचा लोगों के यहाँ अकबर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी सभी उसके साथ अच्छा व्यवहार करते थे और शायद दुलार प्यार कुछ ज़्यादा ही होता था इसी कारण अकबर का मन पढाई-लिखाई में बिलकुल नहीं लगा.वह केवल सैन्य शिक्षा ले सका। उसका काफी समय आखेट, दौड़ व द्वंद्व, कुश्ती आदि में बीतता था.

जन्म से 8 वर्ष तक का होने तक अकबर का जीवन भारी अस्थिरता में बीता जिसके कारण उसकी शिक्षा-दीक्षा का सही प्रबंध नहीं हो पाया था। बाद में जब हुमायूं का ध्यान इस ओर गया तब उसने अकबर की शिक्षा प्रारंभ करने के लिए काबुल में एक आयोजन किया। किंतु ऐन मौके पर अकबर के खो जाने पर वह समारोह दूसरे दिन सम्पन्न हुआ। मुल्ला असमुद्दीन अब्राहीम को अकबर का शिक्षक नियुक्त किया गया। मगर मुल्ला असमुद्दीन एक अक्षम शिक्षक सिद्ध हुआ। तब यह कार्य पहले मौलाना बामजीद को सौंपा गया,

मगर जब उनको भी सफलता नहीं मिली तो मौलाना अब्दुल कादिर को यह काम सौंपा गया। मगर कोई भी शिक्षक अकबर को शिक्षित करने में सफल न हुआ। असल में, पढ़ने-लिखने में अकबर की रुचि ही नहीं थी, उसकी रुचि कबूतर बाजी, घुड़सवारी और कुत्ते पालने में अधिक थी। किन्तु उसको ज्ञानवर्धक कहानियां सुनना बहुत पसंद था कहा जाता है, कि जब वह सोने जाता था, तब एक व्यक्ति उसे कुछ पढ़ कर सुनाता रह्ता था। धीरे-धीरे समय के साथ अकबर एक परिपक्व और समझदार शासक के रूप में उभरा, जिसे कला, स्थापत्य, संगीत और साहित्य में गहरी रुचि रहीं।

अकबर हर एक क्षेत्र में बहुत ही ज्यादा माहिर था और इसके साथ साथ अकबर बहुत ही प्रसिद्ध राजा भी बन गया था। जब अकबर मात्र 13 वर्ष का था तभी इसके पिता हुमायूं की मृत्यु हो गई और इसके बाद अकबर ने 14 फरवरी 1556 ईस्वी में राज सिंहासन को संभाला। ऐसी स्थिति में अकबर अपने पिता के मंत्री बैरम खां के सक्षम मार्गदर्शन के अधीन था और शासन कला सीख रहा था।

जब अकबर अपने पिता के सिंहासन को संभालने लगा तो अकबर ने पंजाब जाकर वहां के राजा शेर शाह सुरी के बेटे सिकंदर शाह सूरी से युद्ध किया और सब कुछ नष्ट कर दिया, अकबर की इस बहादुरी को देख कर सिकंदर शाह सूरी ने अपना शासन छोड़ दिया और इस युद्ध के बाद अकबर और भी ज्यादा चर्चित हो गया।

जब अकबर पंजाबी युद्ध के लिए आया था, उसी समय मौके का फायदा उठाते हुए एक हिंदू शासक हेमू ने दिल्ली पर हमला कर दिया और दिल्ली के राज्य पर अपना कब्जा कर लिया। इसके बाद अकबर ने अपनी सेना के साथ हेमू की सेना पर चढ़ाई बोल दी और पानीपत के दूसरे युद्ध में अकबर ने हेमू को पराजित भी कर दिया।

अकबर की शिक्षा

Education of Akbar in Hindi

अकबर की जिज्ञासा और प्रयास ने उसे एक कुशल योद्धा तो बना दिया था, लेकिन शिक्षा को लेकर अकबर के जीवन में काफी अस्थिरताए आई थी। लगभग 8 वर्ष की उम्र तक अकबर को अक्षर ज्ञान भी नहीं हो पाया था, ईससे अकबर के पिता हुमायूं ने चिंतित होकर अपने पुत्र को शिक्षा दिलवाने के लिए कई व्यवस्थाएं की।

एक बार की बात है, जब हुमायूं ने काबुल में अकबर की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान देते हुए एक समारोह का आयोजन किया था। समारोह में मुल्ला जादा मुल्ला असमुद्दीन अब्राहिम को अकबर का शिक्षक चुना गया था।

लेकिन उसी दिन अकबर रास्ता भटक कर उस समारोह में नहीं पहुंच पाया इसके बाद वह समारोह कुछ दिन अधिक चलाया गया।

अकबर को तालीम देने में उसके पहले शिक्षक तो नाकामयाब रहे। जिसके बाद मौलाना बामजीद और बाद में मौलाना अब्दुल कादिर को अकबर का शिक्षक नियुक्त किया गया। लेकिन अकबर को तालीम देने में कोई भी सफल नहीं रहा।

यह बात अलग है अकबर हमेशा नई चीजों को सीखने में उत्सुक रहता था, लेकिन उसे किताबी ज्ञान में बिल्कुल भी रुचि नहीं थी। घुड़सवारी, शिकार, कबूतर बाजी, संगीत इत्यादि में अकबर को बहुत रुचि थी, लेकिन शिक्षा में उसे जरा भी रुचि नहीं थी।

अकबर का राजतिलक

Akbar’s Coronation in Hindi

जब दिल्ली पर शेरशाह सूरी का शासन था, तब सभी विपक्षी शक्तियां दिल्ली पर कब्जा करने की राह में बैठे थे। हुमायूं के लिए वह सुनहरा समय आया जब शेरशाह सूरी के ही पुत्र को शासक बनाने पर विवादों के कारण अराजकता के माहौल बन गए।

सन 1555 में हुमायूं ने अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली पर आक्रमण कर दिया और शेरशाह सूरी के कमजोर पड़े साम्राज्य को तहस-नहस कर दिया। अब हिंदुस्तान को नियंत्रित करने वाले स्थान दिल्ली पर हुमायूं का शासन हो गया। लेकिन कुछ सालों बाद मात्र 48 वर्ष की उम्र में हुमायूं के आकस्मिक मृत्यु की वजह से दिल्ली की राजगद्दी खाली हो गई थी। यह घटना ऐसे समय में हुई जब अगले शासक अकबर की आयु राजगद्दी पर बैठने के लिए बहुत कम थी।

हुमायूं के बेहद करीबी संरक्षक बैरम खां ने कई सालों तक हुमायूं की मृत्यु की खबर महल से बाहर नहीं जाने दिया और लगातार अकबर को उत्तराधिकारी बनाने के लिए प्रशिक्षित करता रहा।

14 फरवरी सन 1556 के दिन बैरम खां के संरक्षण में अकबर का राजतिलक संपन्न हुआ। 13 वर्ष की आयु में पंजाब के कलनौर में बड़े ही भव्य तरीके से अकबर का राजतिलक किया गया।

इसके पश्चात अकबर का राज्याभिषेक बैरम खां की देखरेख में गुरदासपुर जिले के कालानौर नामक स्थान पर 14 फरवरी 1556 ईस्वी को मिर्जा अबुल कासिम द्वारा किया गया। इस प्रकार अकबर मुग़ल वंश का तीसरा शासक बना। बैरम खां हुमायूं के समय से ही अकबर के अंगरक्षक की भूमिका में था तथा 1556 से 1560 के मध्य संरक्षक की भूमिका में में भी रहा।

13 वर्षीय अकबर का पंजाब में गुरदासपुर के कलनौर नामक स्थान पर, सुनहरे वस्त्र तथा एक गहरे रंग की पगड़ी में एक नवनिर्मित मंच पर राजतिलक हुआ। ये मंच आज भी बना हुआ है। उसे फारसी भाषा में सम्राट के लिये शब्द शहंशाह से पुकारा गया। वयस्क होने तक उसका राज्य बैरम खां के संरक्षण में ही चला। इस प्रकार अकबर को सत्ता की बागडोर मात्र 13 साल की उम्र में मिल गई थी जब 16 फरवरी 1556 ईस्वी को वह राजा घोषित हुआ. उसके बाद 1605 ईसवी में में अपनी मृत्यु तक 50 वर्षों तक उसने अपने लंबे शासनकाल में न केवल मुगल साम्राज्य के विस्तार और दृढ़ता प्रदान की वरन भारत को सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक और कलात्मक रूप से समृद्धि के शिखर पर पहुंचा दिया.

बैरम खां का पतन

Fall of Bairam Khan in Hindi

बैरम खां के पतन में अकबर की धाय मां माहम अनगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने बैरम खां के खिलाफ अकबर को लगातार भड़का कर उससे रिश्ते खराब करने पर मजबूर कर दिया। आख़िरकार अकबर और बैरम खां के बीच तिलवाड़ा नामक स्थान पर युद्ध भी हुआ जिसमें अकबर की विजय हुई और बैरम खां ने समर्पण कर दिया।

एक दिन जब बैरम खां हज मक्का की यात्रा पर निकला हुआ था उसी वक्त 31 जनवरी 1561 को किसी विद्रोही द्वारा उसकी हत्या कर दी गई। बैरम खां की मृत्यु के पश्चात बादशाह ने उसकी विधवा पत्नी सलीमा बेगम से विवाह कर लिया।

दोस्तों अकबर के शासनकाल 1560-62 के समय को धाय महाम अनगा, उसके पुत्र आदम खान एवं पुत्री जीजीअनगा के शासन में सर्वे सर्वा होने के कारण इतिहासकारों ने “प्रदा शासन पेटीकोट सरकार” की संज्ञा दी है।

अकबर की शादी

Akbar’s wedding History in Hindi

अकबर उन शासकों में से भी है, जिसने एक से अधिक शादियां की है। अकबर ने पहली शादी 1551 में अपने ही चाचा की बेटी रुकैया बेगम से की थी। रुकैया बेगम उनकी पहली और मुख्य बीवी थी।

इसके बाद अकबर ने इस एक शादी के अलावा भी कई राजकुमारियों से शादी की, जिसमें सुल्तान बेगम सहिबा, मरियम उज-जमानी बेगम साहिबा और उसके बाद राजपूत राजकुमारी जोधाबाई से भी शादी की थी।

अकबर की सफलता व साम्राज्य विस्तार

Akbar’s success and empire expansion in Hindi

बात करें अकबर के साम्राज्य विस्तार की तो अकबर एक विस्तारवादी नीति वाला राजा था। अकबर अपने राज्य का विस्तार पूरे हिंदुस्तान में करना चाहता था। अकबर के सैन्य अभियानों व राज्य विस्तार के बारे में आप आगे पढ़ सकते हैं।

पूरे हिंदुस्तान में मुगल साम्राज्य का विस्तार होने से सूरी वंश के शक्तिशाली राजा शेरशाह सूरी ने अपने प्रभाव से रोका था।

लेकिन जब इस वंश में आपस में ही राज्य सिंहासन के लिए मतभेद होने लगा तब सारा साम्राज्य अलग-अलग टुकड़ों में बट गया। हुमायूं ने इसी बात का फायदा उठाकर हिंदुस्तान में सेना लेकर पहुंचा और दिल्ली पर कब्जा कर लिया।

यहीं से मुगल साम्राज्य का उदय पूरे हिंदुस्तान में होना प्रारंभ हो गया। अकबर मुगल काल का वो शक्तिशाली शासक था, जिसने शेरशाह सूरी को भी हरा दिया और अपने शत्रु की सूची एक-एक करके कम करते गया।

अपनी परिपक्व नीतियों के चलते अकबर ने सामंतों की संख्या बढ़ाई और अधीन किए गए सभी राज्यों के लिए सामंती व्यवस्था के साथ राज्यपालों की नियुक्ति भी की।

अपने प्रशासन काल में अकबर यह भली-भांति समझ चुका था, कि सूरी वंश को खत्म किए बिना वह पूरे हिंदुस्तान पर फतह नहीं कर सकता। सिकंदर शाह सूरी भी उस समय का सबसे शक्तिशाली शासक था। सिकंदर शाह सूरी के प्रभाव को नष्ट करने के लिए अकबर ने पंजाब तक जाकर सूरी वंश पर हमला बोला।

वहीं दूसरी तरफ हेमू विक्रमादित्य ने आगरा और दिल्ली पर अकबर के गैर मौजूदगी में आक्रमण करके अपना राज्य स्थापित कर लिया। अकबर को जब यह पता चला तो उसने फौरन ही परामर्श करने के पश्चात दिल्ली पर आक्रमण करने का मसौदा तैयार कर लिया।

जब हेमू और अकबर की सेना आपस में भिड़ी तो यह युद्ध पानीपत के द्वितीय युद्ध के नाम से जाना गया। हेमू के मुकाबले अकबर की सेना बहुत छोटी थी, लेकिन उसके बावजूद भी अकबर ने अपने जबरदस्त दूरदृष्टि के बदौलत इस युद्ध को जीत लिया।

इतिहास गवाह है कि जिसने भी पानीपत के युद्ध को जीता है उसका साम्राज्य पूरे हिंदुस्तान में फैलना बेहद साधारण बात हो जाती है। अकबर के सापेक्ष में भी यही हुआ। पानीपत का द्वितीय युद्ध फतेह करने के पश्चात वह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर मुगल साम्राज्य का विस्तार करने लगा।

अकबर का दिल्ली आगरा विजय

Akbar’s Delhi Agra Conquest in Hindi

अकबर के शासक बनने के बाद यह अकबर की सबसे पहले पहली विजय थी। 1556 ईं. में अकबर के पिता हुमायूं की मृत्यु के बाद तक अकबर के पास पंजाब का एक छोटा से क्षेत्र था।

अकबर ने अपने राज्य विस्तार को लेकर यह पहला युद्ध किया था। इस युद्ध को पानीपत का युद्ध कहा जाता है। यह युद्ध अकबर और हेमू के मध्य हुआ था, जिसमें अकबर जीतकर दिल्ली-आगरा पर अधिकार कर पाया था।

अकबर का ग्वालियर, अजमेर, जौनपुर विजय

Akbar’s conquest of Gwalior, Ajmer, Jaunpur in Hindi

अकबर की दिल्ली व आगरा विजय के बाद उसने 1556 और 1560 के बीच ग्वालियर, अजमेर और जौनपुर पर भी विजय प्राप्त कर ली और उन राज्यों को मुगल साम्राज्य में मिला दिया।

अकबर का मालवा विजय

Akbar’s conquest of Malwa in Hindi

अकबर के समकालीन अफगान सरदार बहादुर शाह मालवा का शासक था। अकबर ने मालवा को अधीन करने के लिए आधम खां और मीर मोहम्मद के नेतृत्व में एक सेना मालवा की चढ़ाई के लिए भेजी।

इसमें इन दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें मालवा का नरेश हार गया और मालवा पर अकबर का अधिकार हो गया। यह घटना 1560 से 1562 के बीच मानी जाती है।

अकबर का गौंडवाना विजय

Akbar’s Gondwana Conquest in Hindi

अकबर ने अपने राज्य का और विस्तार करने के लिए गोंडवाना के शासक वीर नारायण के साथ भी दो-दो हाथ किए थे। इस युद्ध को भी अकबर जीत गया था।

वीर नारायण अल्पसंख्यक था, जिसके कारण उसकी मां उसकी देखभाल करती थी। वीर नारायण की मां एक कुशल प्रशासक होने के साथ-साथ वह एक श्रेष्ठ सेनापति भी थी।

अकबर का चित्तौड़ के राजा से सामना

Akbar’s encounter with the king of Chittor in Hindi

1567 ई में अकबर ने अपने राज्य विस्तार में राजपूताने के क्षेत्र को भी अपनी और मिलने का सोचा। अकबर पहले चित्तौड़ पर आक्रमण नहीं करना चाहता था व वहाँ की सामाजिक स्थिति व राजनीतिक प्रतिष्ठा से काफी प्रभावित था।

अकबर चित्तौड़ को अपने अधीन करना चाहता था। वहाँ के शासक महाराणा प्रताप को यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं था कि वह मुगल साम्राज्य में मिल जाएं।

काफी समय तक कोशिश चली फिर आखिर चित्तौड़ पाने के लिए अकबर और महाराणा प्रताप के बीच में हल्दीघाटी का युद्ध हुआ। जिसे हल्दीघाटी का युद्ध के नाम से जानते है इस युद्ध में किसकी विजय हुई, इस बात पर इतिहासों में अभी भी मतभेद है। पर ऐसा कहा जा सकता है कि बाद में यह राज्य भी मुगल शासक अकबर के अधीन आ गया था।

अकबर का हल्दीघाटी का युद्ध

Akbar’s Battle of Haldighati in Hindi

उस समय पूरे राजस्थान में मात्र एक ऐसा राज्य था जो मुगल अधीनता स्वीकार नहीं कर रहा था और वह था मेवाड़। अकबर ने एक के बाद एक अनेक दूतमंडल महाराणा प्रताप के पास भेज कर उनको राजी करने की कोशिश की लेकिन मानसिंह की मध्यस्था के बावजूद बात नहीं बनी।

एक बार तो राणा प्रताप ने अपने बेटे अमर सिंह को मुगल दरबार में भगवान दास के साथ भेज भी दिया था लेकिन स्वाभिमानी राणा प्रताप अकबर (Akbar) के सामने खुद उपस्थित होकर व्यक्तिगत रूप से उसका सम्मान प्रकट नहीं करना चाहते थे इसलिए कोई समझौता नहीं हुआ। इसके पश्चात हल्दीघाटी में दोनों के बीच घमासान लड़ाई हुई. अकबर को राजपूतों का सहयोग प्राप्त था लेकिन राणा प्रताप की सेना में भी उनकी ओर से कुछ मुसलमान लड़ रहे थे. राजपूत योद्धाओं के अलावा राणा प्रताप की सेना में अफ़गानों की एक टुकड़ी भी हकीम खां के साथ थी।

अकबर का राजपुताना के अन्य राज्यों पर विजय

Akbar’s conquest of other kingdoms of Rajputana in Hindi

चितौड़ को अधीन करने के कुछ ही समय बाद रणथंभौर, कार्लिजर, जोधपुर, जैसलमेर और बीकानेर जैसे राज्य भी अकबर के अधीन आ गये थे। इन सब से एक बात तो पक्की साबित होती है कि अकबर एक विस्तारवादी राजा था।

अकबर का गुजरात पर विजय

Akbar’s conquest of Gujarat in Hindi

अकबर के उत्तर भारत मे विजय अभियानों के बाद अकबर को अब मध्य भारत और दक्षिण भारत में भी अपना राज्य विस्तार करना था। 1574 में अकबर गुजरात की ओर बढ़ा। अकबर और गुजरात शासक के बीच युद्ध बिलकुल भी नहीं हुआ बल्कि गुजरात शासक ने अकबर की अधीनता युही स्वीकार कर ली थी।

पहली बार जब अकबर यहां से चला गया तो मुरफ्फरशान ने अपने राज्य को एक बार फिर स्वतंत्र घोषित कर दिया, उसके बाद फिर अकबर ने चढ़ाई की और इस बार मुफ्फर शाह हार गया।

अकबर का बंगाल पर विजय

Akbar’s conquest of Bengal in Hindi

गुजरात विजय के बाद अकबर एक बार फिर पश्चिम बंगाल की ओर रुख किया, उस समय वहाँ का शासक सुलेमान था। सुलेमान ने अकबर के डर से ही अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी।

इसके बाद सुलेमान की मृत्यु के बाद फिर उसके पुत्र ने एक स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी। जिसके बाद 1574 में अकबर ने इसके विरोध में एक बार फिर बंगाल पर आक्रमण किया और सुलेमान के पुत्र दाऊद खां को हार का सामना करना पड़ा।

अकबर का काबुल विजय

Akbar’s conquest of Kabul in Hindi

1585 में जब अकबर ने काबुल पर अधिकार करना चाहा तो उस समय वहाँ का शासक अकबर का सौतेला भाई मिर्ज़ा मुहम्मद हाकिम था। यह वही मिर्ज़ा मुहम्मद हाकिम था, जो खुद भी भारत जीतने की इच्छा रखता था। अकबर ने उसके विरुद्ध भी कार्यवाही की और उसके खिलाफ युद्ध किया।

इस युद्ध में अकबर को विजयश्री प्राप्त हुई, पर उसके बाद अकबर ने उसके भाई पर दया दिखाकर उसका राज्य उसे वापस लौटा दिया। हाकिम की मृत्यु के बाद अकबर ने काबुल को मुगल साम्राज्य में मिला दिया।

अकबर के समय की शासन प्रणाली

Akbar’s rule system in Hindi

अकबर एक राजा के साथ वह एक कुशल प्रशासक भी था। उसके राज्य में वह सबसे एक ही समान देखता था चाहे वो किसी भी धर्म, वर्ग या किसी भी श्रेणी का हो। अकबर के समय की शासन प्रणाली के बारे में भी आपको जानना चाहिए, जो इस प्रकार है: –

  • अकबर के शासन काल में साम्प्रदायिक सद्भावना देखने को मिलती थी। अकबर के राज्य में हिन्दू, मुस्लिम या अन्य सभी धर्मों को एक समान माना जाता था। अकबर के शासन काल में सभी धर्मों को स्वतंत्रता थी, वे अपने धर्म के संबंधित परम्परा मना सकते थे।
  • अकबर के राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में कई अधिकारी नियुक्त थे, जो राज्य के शासन में अपना योगदान देते थे। अकबर के राज्य में वकील, प्रधानमंत्री, दीवान, मीर बक्शी, मुख्य सदर इत्यादि अधिकारी कार्य करते थे।
  • मुगलों की ताकतवर फ़ौज, राजनयिक, सांस्कृतिक आर्थिक वर्चस्व के कारण ही अकबर ने पुरे देश में कब्ज़ा कर लिया था। अपने मुग़ल साम्राज्य को एक रूप बनाने के लिए अकबर ने जो भी प्रान्त जीते थे उनके साथ में एक तो संधि की या फिर शादी करके उनसे रिश्तेदारी की।
  • अकबर के राज्य में विभिन्न धर्म और संस्कृति के लोग रहते थे और वो अपने प्रान्त में शांति बनाये रखने के लिए कुछ ऐसी योजना अपनाते थे जिसके कारण उसके राज्य के सभी लोग काफी खुश रहते थे।
  • साथ ही अकबर को साहित्य काफी पसंद था और उसने एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी जिंसमे करीब 24,000 से भी अधिक संस्कृत, उर्दू, पर्शियन, ग्रीक, लैटिन, अरबी और कश्मीरी भाषा की क़िताबे थी और साथ ही वहापर कई सारे विद्वान्, अनुवादक, कलाकार, सुलेखक, लेखक, जिल्दसाज और वाचक भी थे।
  • खुद अकबरने फतेहपुर सिकरी में महिलाओ के लिए एक पुस्तकालय की भी स्थापना की थी। और हिन्दू, मुस्लीम के लिए भी स्कूल खोले गयें। पूरी दुनिया के सभी कवी, वास्तुकार और शिल्पकार अकबर के दरबार में इकट्टा होते थे विभिन्न विषय पर चर्चा करते थे।
  • अकबर के दिल्ली, आगरा और फतेहपुर सिकरी के दरबार कला, साहित्य और शिक्षा के मुख्य केंद्र बन चुके थे। वक्त के साथ पर्शियन इस्लामिक संस्कृति भारत के संस्कृति के साथ घुल मिल गयी और उसमे एक नयी इंडो पर्शियन संस्कृति ने जन्म लिया और इसका दर्शन मुग़लकाल में बनाये गए पेंटिंग और वास्तुकला में देखने को मिलता है।
  • अपने राज्य में एक धार्मिक एकता बनाये रखने के लिए अकबर ने इस्लाम और हिन्दू धर्मं को मिलाकर एक नया धर्मं ‘दिन ए इलाही’ को बनाया जिसमे पारसी और ख्रिचन धर्म का भी कुछ हिस्सा शामिल किया गया था।
  • जिस धर्म की स्थापना अकबर ने की थी वो बहुत सरल, सहनशील धर्म था और उसमे केवल एक ही भगवान की पूजा की जाती थी, किसी जानवर को मारने पर रोक लगाई गयी थी। इस धर्म में शांति पर ज्यादा महत्व दिया जाता था। इस धर्म ना कोई रस्म रिवाज, ना कोइ ग्रंथ और नही कोई मंदिर या पुजारी था।
  • अकबर के दरबार में के बहुत सारे लोग भी इस धर्मं का पालन करते थे और वो अकबर को पैगम्बर भी मानते थे। बीरबल भी इस धर्मं का पालन करता था।
  • भारत के इतिहास में अकबर के शासनकाल को काफी महत्व दिया गया है। अकबर शासनकाल के दौरान मुग़ल साम्राज्य तीन गुना बढ़ चूका था। उसने बहुत ही प्रभावी सेना का निर्माण किया था और कई सारी राजनयिक और सामाजिक सुधारना भी लायी थी।
  • अकबर को भारत के उदार शासकों में गिना जाता है। संपूर्ण मध्यकालीन इतिहास में वो एक मात्र ऐसे मुस्लीम शासक हुए है जिन्होंने हिन्दू मुस्लीम एकता के महत्त्व को समझकर एक अखण्ड भारत निर्माण करने का प्रयास कीया।

अकबर के दरबार की शान अकबर के नवरत्न

The glory of Akbar’s court Navratna of Akbar in Hindi

अकबर के दरबार में नवरत्न शामिल थे अर्थात 9 ऐसे व्यक्ति जो अकबर को हर एक कार्य के लिए सलाह देते थे। आप सभी ने इन नौ रत्नों को लेकर बहुत सी कहानियां सुनी होंगी और यह भी सुना होगा कि अकबर का दरबार उनके सलाहकारों के बिना एक दम अधूरा था।

अकबर के दरबार में ऐसे 9 व्यक्ति थे, जो उनके दरबारी थे और वे अकबर के नवरत्न कहलाते थे।

बीरबल (Birbal)

अकबर के नवरत्नों में सबसे ऊपर जो नाम आता है, वह है बीरबल का। यह अकबर के दरबार का सबसे ज्यादा बुद्धिमान और अकबर का सबसे करीबी सलाहकार माना जाता था।

मानसिंह (Man Singh)

मानसिंह जो कि जयपुर के कछवाहा वंश के राजकुमार थे, अकबर के सेनापति माने जाते थे।

अबुल फजल (Abul fazl)

अबुल फजल एक लेखक थे, जिन्होंने आइना-ए-अकबरी और अकबरनामा की रचना की थी।

फकीर अजिओं दिन

फकिर अजिओं खान यह अकबर के सलाहकार थे।

अब्दुल रहीम खान (Abdul Rahim Khan)

यह एक महान कवि थे और यह अकबर के संरक्षक सिपाही बैरम खान के बेटे थे।

मुल्लाह दो पिअज़ा (Mullah Do Piazza)

मुल्लाह दो पिअज़ा भी अकबर के सलाहकार सूची में थे।

तानसेन (Tansen)

तानसेन अकबर के दरबार में एक गायक और एक कवि थे।

फौजी

अकबर के नवरत्नों की सूची में शामिल यह एक फ्रांसीसी कवि थे, यह अकबर के बेटे को गणित पढ़ाया करते थे।

टोडरमल (Todermal)

जो स्वयं जयपुर के दरबार से ताल्लुक रखते थे और वे अकबर के वित्त मंत्री थे।

जोधा अकबर का इतिहास

History of Jodha Akbar in Hindi

जोधा अकबर  एक एतिहासिक कहानी जिसे इतिहास की सबसे यादगार प्रेम कहानी कहा जाता हैं | जोधा अकबर  पर कई फिल्मे और टीवी सीरियल भी बने हैं जिनके कारण जोधा अकबर  के प्रति आज के लोगों का रुझान काफी बढ़ा हैं| जोधा अकबर  की इन कहानियों पर बनी फिल्मो और धारावाहिकों का कई इतिहासकार एवम मूल राजिस्थानी लोगो ने विरोध किया | जिस कारण लोगों में यह जानने का उत्साह बना कि आखिर क्या था जोधा-अकबर  का सच ?

जोधा अकबर एक प्रेम कथा हैं| वास्तव में इसके अस्तित्व के कोई खास प्रमाण मौजूद नहीं हैं | अकबर मुगलों का बादशाह था जिसने अपनी ताकत से भारत को मुगलों के आधीन कर लिया था | उस वक्त अकबर के शत्रु राजपुताना थे जिसे हम अकबर और प्रताप के युद्ध के रूप में जानते हैं |

अकबर ने हिंदु राजपूत राजकुमारी से विवाह भी किया। उनकी एक रानी जोधाबाई राजपूत थी। वो ऐसे पहले मुग़ल राजा थे जिन्होंने मुस्लीम धर्म को छोड़कर अन्य धर्म के लोगो को बड़े पदों पर बिठाया था और साथ ही उनपर लगाया गया सांप्रदायिक कर भी ख़तम कर दिया था। अकबर ने जो लोग मुस्लिम नहीं थे उनसे कर वसूल करना भी छोड़ दिया और वे ऐसा करने वाले पहले सम्राट थे, और साथ ही जो मुस्लिम नहीं है उनका भरोसा जितने वाले वे पहले सम्राट थे। विभिन्न धर्मो को एक साथ रखने की शुरुवात अकबर के समय ही हुई थी।

जोधा ही मुग़ल साम्राज्य की मरियम उज़-ज़मानी (जिसकी संतान राजा बनती हैं ) बनी | जोधा की पहले दो संताने (हसन हुसैन) हुई जो कुछ ही महीने बाद मृत्यु को प्राप्त हो गई | बाद में जोधा की संतान जहाँगीर ने मुगुल साम्राज्य पर अपनी हुकूमत की |

जोधा अकबर  की प्रेम कथा का आधार क्यूंकि अकबर जोर जबरजस्ती से देश पर मुग़ल साम्राज्य नहीं चाहता था इसलिए इतिहास अकबर को एक अच्छा शासक कहता  हैं | अकबर के इसी व्यवहार के कारण राजकुमारी जोधा के मन में अकबर के लिये प्रेम का भाव जागा और उन्होंने अकबर को हिन्दू संस्कृति से अकबर का परिचय करवाया | शायद इसी कारण अकबर दोनों धर्मों में प्रिय शासक बने |

इसके अलावा अकबर का बचपन हिन्दू परिवार के साथ बिता | जंग के दिनों में इनके पिता हुमायु को कई दिनों तक अज्ञातवास में बिताना पड़ा जिस कारण इन्हें हिन्दू परिवार के साथ रहना पड़ा जिस कारण भी अकबर के मन में हिन्दू संस्कृति के लिये भी आदर था | अकबर की कई बेगम थी लेकिन फिर भी उनका मन जोधा से ज्यादा जुड़ा जिसका कारण जोधा का निडर व्यवहार था जो अकबर को बहुत पसंद था | जोधा ने हमेशा अकबर को सही गलत का रास्ता दिखाया जो कि अकबर को एक प्रिय राजा बनने में मददगार साबित हुआ |

अकबर की वास्तविक चरित्र चित्रण

Real characterization of Akbar in Hindi

तमाम इतिहासकारों ने अकबर (Akbar) को महान अकबर कहा है और उसकी अच्छाइयों को ही चित्रित किया है लेकिन यहाँ पर यह जानना भी जरुरी है कि अकबर में कुछ मानवोचित कमजोरियां भी थी जो उसके चारित्रिक लंपटता को दर्शाती हैं. तत्कालीन समाज में वेश्यावृति को अकबर का संरक्षण प्राप्त था।

उसकी एक बहुत बड़ी हरम थी जिसमे बहुत सी स्त्रियाँ थीं। इनमें अधिकांश स्त्रियों को बलपूर्वक अपहृत करवा कर वहां रखा गया था। उस समय में सती प्रथा भी जोरों पर थी। तब कहा जाता है कि अकबर के कुछ लोग जिस सुन्दर स्त्री को सती होते देखते थे, उसे बलपूर्वक जाकर सती होने से रोक देते और सम्राट की आज्ञा बताकर उस स्त्री को हरम में डाल दिया जाता था। हालांकि इस प्रकरण को दरबारी इतिहासकारों ने कुछ इस ढंग से कहा है कि “इस प्रकार बादशाह सलामत ने सती प्रथा का विरोध किया व उन अबला स्त्रियों को संरक्षण दिया।”

अपनी जीवनी में अकबर (Akbar) ने स्वयं लिखा है– यदि मुझे पहले ही यह बुधिमत्ता जागृत हो जाती तो मैं अपनी सल्तनत की किसी भी स्त्री का अपहरण कर अपने हरम में नहीं लाता। इस बात से यह तो स्पष्ट हो ही जाता है कि वह सुन्दरियों का अपहरण करवाता था। इसके अलावा अपहरण न करवाने वाली बात की निरर्थकता भी इस तथ्य से ज्ञात होती है कि न तो अकबर के समय में और न ही उसके उतराधिकारियो के समय में हरम बंद हुई थी।

आईने अकबरी के अनुसार अब्दुल कादिर बदायूंनी कहते हैं कि बेगमें, कुलीन, दरबारियो की पत्नियां अथवा अन्य स्त्रियां जब कभी बादशाह की सेवा में पेश होने की इच्छा करती हैं तो उन्हें पहले अपने इच्छा की सूचना देकर उत्तर की प्रतीक्षा करनी पड़ती है; जिन्हें यदि योग्य समझा जाता है तो हरम में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। अकबर अपनी प्रजा को बाध्य किया करता था की वह अपने घर की स्त्रियों का नग्न प्रदर्शन सामूहिक रूप से आयोजित करें जिसे अकबर ने खुदारोज (प्रमोद दिवस) नाम दिया हुआ था।

इस उत्सव के पीछे अकबर का एकमात्र उदेश्य सुन्दरियों को अपने हरम के लिए चुनना था। गोंडवाना की रानी दुर्गावती पर भी अकबर की कुदृष्टि थी। उसने रानी को प्राप्त करने के लिए उनके राज्य पर आक्रमण भी किया था। युद्ध के दौरान वीरांगना रानी दुर्गावती ने अनुभव किया कि उसे मारने की नहीं वरन बंदी बनाने का प्रयास किया जा रहा है, तो उसने वहीं आत्महत्या कर ली। तब अकबर ने उसकी बहन और पुत्रबधू को बलपूर्वक अपने हरम में डाल दिया। अकबर (Akbar) ने यह प्रथा भी चलाई थी कि उसके पराजित शत्रु अपने परिवार एवं परिचारिका वर्ग में से चुनी हुई महिलायें उसके हरम में भेजे।

अकबर के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य एक नजर में

Interesting facts related to the life of Akbar at a glance in Hindi

तो आइए अकबर के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य एक नजर में (Interesting facts related to the life of Akbar at a glance in Hindi) को जानते है :-

  • 15 अक्टूबर 1542 ई. में अमरकोट में जन्में जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर महज 9 साल की उम्र में गजनी का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
  • 13 साल की उम्र में मुगल सिंहासन पर बैठ गए थे। 1555 ईसवी में हुंमायू ने अकबर को अपना युवराज घोषित किया था। 1556 ईसवी में अकबर के संरक्षक बैरम खां ने उनका राज्याभिषेक करवाया था।
  • मुगल सम्राट अकबर ने 1556 में अपनी जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई लड़ी। उन्होंने यह लड़ाई हेमू के खिलाफ लड़ी थी, और हेमू और सुर सेना का बहादुरी से मुकाबला कर उन्हें परास्त किया था
  • अकबर ने फतेहपुर सीकरी के साथ बुलंद दरवाजा का भी निर्माण करवाया था।
  • सबसे अलग मुगल सम्राट के रुप में अपनी पहचान विकसित करने वाले अकबर को अकबर महान, अकबर-ऐ-आजम, मशहाबली शहंशाह के नाम से जाना जाता है।
  • अकबर ने 1582 ईसवी में दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की।
  • साल 1576 ईसवी में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हल्दीघाटी का घमासान युद्ध हुआ, इस युद्द में अकबर ने विजय प्राप्त की।
  • अकबर के शासनकाल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल माना जाता है।
  • अबुल फजल ने अकबरनामा (Akbarnama) ग्रंथ की रचना की थी।
  • अकबर के दरबार में नौ रत्न थे, जिसमें तानसेन, टोडरमल, बीरबल, मुल्ला दो प्याजा, रहीम खानखाना, अ्बुल फजल, हकीम हुकाम, मानसिह शामिल थे।
  • अकबर अशिक्षित था, लेकिन उसे लगभग हर विषय में असाधारण ज्ञान था, साथ ही वह अपना स्मरण शक्ति के लिए जाना जाता था, वो एक बार जो सुन लेता था, उसे दिमाग में छप जाता था।
  • मुस्लिम शासक होते हुए भी मुगल शासक अकबर ने उसने हिन्दुओं के हित में कई काम किए  हिन्दु तीर्थयात्रियों द्धारा दिए जाने वाले जजीया कर और यात्री कर को माफ किया।
  • 1556 से 1605 तक मुगल सिंहासन पर राज करने वाले अकबर की मृत्यु अतिसार रोग के कारण हो गई थी।
  • अकबर अपने अंतिम दिनों में उसने 1582 में एक नये पंथ “ दीन ए इलाही “ की स्थापना की जिसमे सभी धर्मो की शिक्षाएं और संकल्प शामिल थे लेकिन यह उतना सफल नहीं हो सका और 1605 में उसकी मौत के साथ ही ख़त्म भी हो गया |

अकबर की मृत्यु

Death of Akbar in Hindi

अकबर (Akbar) के बारे में बृहद रूप से जानकारी इकठ्ठा करने पर यह पता चलता है कि उसका व्यक्तित्व बहुआयामी था. वह एक तरफ न्यायपालक, उदार, सर्व धर्म सम्भावी और मित्रवत होने का दिखावा करता था तो दूसरी तरफ क्रूर, हत्यारा, कामान्ध व्यक्ति भी था जो यह जानता था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना बहुत जरुरी है।

जैसा की 3 अक्टूबर 1605 में अकबर पेचीस जैसी बीमारी से पीड़ित हो गया था, जिसके पश्चात उनका स्वास्थ्य कभी ठीक नहीं हो पाया। शायद यही कारण रहा होगा कि जब इसकी मृत्यु 27 अक्टूबर 1605 को फतेहपुर सीकरी, आगरा में हुयी तो  उसकी अन्त्येष्टि बिना किसी संस्कार के जल्दी ही कर दी गयी। परम्परानुसार दुर्ग में दीवार तोड़कर एक मार्ग बनवाया गया तथा उसका शव चुपचाप सिकंदरा के मकबरे में दफना दिया गया।

अकबर से संबन्धित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर

Some questions and answers related to Akbar in Hindi

प्रश्न :- अकबर कौन था?

उत्तर :- अकबर मुगल साम्राज्य का एक राजा था।

प्रश्न :- अकबर कौनसे वंश का शासक था?

उत्तर :- मुग़ल वंश।

प्रश्न :- अकबर का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर :- अकबर का जन्म पाकिस्तान के उमरकोट में हुआ था।

प्रश्न :- किस आयु मे अकबर ने मुग़ल सत्ता की गद्दी संभाली? 

उत्तर :- 13 वे साल में।  

प्रश्न :- अकबर की पहली पत्नी का क्या नाम था?

उत्तर :- अकबर की पत्नी का नाम रुकैया बेगम था।

प्रश्न :- अकबर की पत्नी जोधा कहाँ की राजकुमारी थी?

उत्तर :- अकबर की पत्नी जोधा जयपुर की राजकुमारी थी।

प्रश्न :- अकबर की मृत्यु के समय उनकी उम्र क्या थी?

उत्तर :- अकबर की मृत्यु के समय उसकी उम्र 63 साल थी।

प्रश्न :- अकबर का पूरा नाम क्या था?

उत्तर :- अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था।

प्रश्न :- अकबर के पिता का क्या नाम था?

उत्तर :- अकबर के पिता का नाम नसीरुद्दीन हुमायूं था।

उत्तर :- प्रश्न :- अकबर की मृत्यु किस वजह से हुई थी?

जवाब: पेचिश नामक बीमारी के कारण अकबर की मृत्यु हुई थी।

उत्तर :- प्रश्न :- अकबर को कितने पुत्र एवं पुत्रिया थी?

उत्तर :- अकबर को पाच पुत्र एवं पाच पुत्रिया थी।

प्रश्न :- अकबर की जीवनी किस नामसे प्रसिद्ध है?

उत्तर :- ‘अकबरनामा’ नाम से अकबर की जीवनी प्रसिद्ध है जो के प्रसिध्द पर्सियन और अरबी लेखक अबुल फजल ने अकबर के जिवन पे लिखी है।

प्रश्न :- अकबर और महाराणा प्रताप के बिच हुई लड़ाई किस नाम से प्रसिद्ध है?

उत्तर :-  हल्दीघाटी की लड़ाई या हल्दीघाटी का युध्द।

तो आपको यह पोस्ट अकबर का इतिहास जीवन परिचय पत्नी युद्ध शासनकाल और मृत्यु (History of Akbar in Hindi Biography Jeevan Parichay Date Of Birth, Birth Place, Father, Mother, Wife Children, Fight, Mughal Empire Death कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे…

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