इस पोस्ट में हम जानेंगे कूलाम का नियम Coulomb Law in Hindi के बारे मे, अगर आपको कूलाम का नियम क्या है इसकी परिभाषा और उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो इस पोस्ट को पूरा पढे, तो चलिये अब कूलाम का नियम क्या है के बारे मे जानते है,
कूलाम का नियम
Coulomb Law in Hindi
आज से हजारों वर्ष पहले करीब 600 ईसा पूर्व यूनान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थेल्स ने पाया कि जब अंबर नामक पदार्थ को ऊन के किसी कपड़े के साथ रगड़ा जाता है। तो उसमें छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी और आकर्षित करने का गुण आ जाता है।
शुरुआती दिनों में थेल्स भी इस घटना को नहीं समझ पाए थे। किंतु आज प्रकृति की इस घटना को हम आवेश के नाम से जानते हैं। इन्ही आवेशो के बीच लगने वाले बल को कूलाम ने बताया था।
कूलाम का नियम की परिभाषा
Definition of coulomb law in Hindi
कूलाम ने दो स्थिर बिंदु आवेशों के बीच कार्य करने वाले बल के रूप में एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कूलॉम का नियम (Coulomb’s Law In Hindi) कहते हैं।
“दो बिन्दुवत एवं स्थिर आवेशो के मध्य स्थिर वैधुत बल का परिमाण आवेशो के परिमाण के गुणफल के समानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”
इस नियम के अनुसार दो स्थिर बिंदु आवेशो के बीच कार्य करने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण का बल दो आवेशो के परिमाणो के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल बल आवेशो को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है। इले कूलाम का व्युत्कर्म वर्ग का नियम भी कहते हैं।
आवेश क्या होता है
Charge in Hindi
“जब दो पदार्थों को एक दूसरे के साथ रगड़ा जाता है तो इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण के कारण उनमें आकर्षण या विकर्षण का गुण आ जाता है।” अर्थात वे आवेशित हो जाती हैं।
आवेश के प्रकार
Types of charge in Hindi
आवेश मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। (1) धन आवेशित आवेश, (2) ऋणआवेशित आवेश,
जब कांच की छड़ को रेशम के टुकड़े से रगड़ते हैं। तब उनमे छोटी-छोटी वस्तुओं को अपनी और आकर्षित करने का गुण आ जाता है। बेंजामिन फ्रैंकलिन ने आवेशों को धनात्मक आवेश और ऋणआत्मक आवेश नाम दिया।
पदार्थों में आवेश कैसे उत्पन्न होते हैं
How are charges generated in matter in Hindi
दो वस्तुवो को आपस में रगड़ने पर एक वस्तु के परमाणु के बाहरी कक्षीय इलेक्ट्रॉन दूसरी वस्तु के परमाणु में चले जाते हैं। इलेक्ट्रॉन के इस प्रकार के वितरण में जो वस्तु इलेक्ट्रॉन देती हैं वहां इलेक्ट्रॉन की कमी हो जाती है। मतलब वह धन आवेशित हो जाती है।
तथा दूसरी वस्तु पर इलेक्ट्रॉन के आ जाने से वह ऋणावेशित हो जाती है। इस प्रकार दोनों वस्तुओं पर आवेश उत्पन्न होते हैं.
कूलाम का नियम
Coulomb law in Hindi
सर्व प्रथम फ्रांसीसी वैज्ञानिक कूलाम ने दो आवेशों के बीच लगने वाले बल मान प्रयोग द्वारा ज्ञात किया और निम्नलिखित नियमों का प्रतिपादन किया जो उनके नाम पर कूलाम के नियम कहे जाते हैं।
कूलाम का नियम |
a) दो आवेश के बीच की दूरी स्थिर हो तो उनके बीच आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल आवेशों के परिणामों के गुणनफल का समानुपाती होता है। |
b) दो आवेशों के परिणाम यदि स्थिर हो तो उनके बीच आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। |
कूलाम के नियम का सूत्र
Coulomb law formula in Hindi
दो स्थित बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले बल, दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के व्यूत्क्रमानुपाती होता है। इसे ही कूलाम का नियम कहते हैं।
कूलाम के नियम का सूत्र – F= 1/4πԐ0 q1q2/r2
इस प्रकार यदि बिंदु आवेशो q1 व q2 के मध्य की दूरी r हो तो कूलाम के नियम के अनुसार उनके मध्य लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल
F ∝ q1q2
तथा F ∝ 1/r2
अत: F ∝ q1q2/r2
F = k q1q2/r2
यहाँ k समानुपातिक नियतांक है।
- जब दोनों आवेशों को कुलाम में व्यक्त किया जाए और दोनों आवेश निर्वात या वायु में रखे हो व बल को न्यूटन में , दूरी को मीटर में व्यक्त किया जाए तो k = 1/4πε0= 9 x 109 न्यूटन.मीटर2/कूलाम2
यहाँ एप्साइलन जीरो (ε0 ) , निर्वात की विद्युतशीलता है।
जब निर्वात अथवा वायु में आवेशों के मध्य लगने वाला बल F0 से व्यक्त करे तो कुलाम के नियमानुसार –
F0 = (1/4πε0) (q1q2/r2) न्यूटन
- यदि आवेश किसी अन्य माध्यम में रखे हो तो –
k = 1/4πε
यहाँ ε , माध्यम की विद्युतशीलता है।
अत: कुलाम के नियमानुसार –
F = (1/4πε) (q1q2/r2) न्यूटन
प्रयोगों से यह देखा गया कि दो बिंदु आवेशों के मध्य किसी निश्चित दूरी के लिए कार्य करने वाला बल निर्वात में सबसे अधिक होता है , किसी माध्यम के लिए –
F = F0/F = नियतांक = K = माध्यम का पराविद्युतांक
F0 व F का मान रखने पर –
ε/ε0 = K = माध्यम का पराविद्युतांक
ε = ε0 K
यह निर्वात की विद्युतशीलता (ε0) और माध्यम की निरपेक्ष विधुतशीलता (ε) के बीच सम्बन्ध पाया जाता है।
अत: कूलाम बल के लिए व्यापक सूत्र निम्न प्राप्त होता है –
K का मान निर्वात के लिए 1 होता है जो कि K का न्यूनतम मान है। वायु के लिए K का मान 1.00054 होता है। K का मान सभी कुचालक पदार्थों के लिए 1 से अधिक होता है उदाहरण के लिए पानी के लिए K का मान 80 तथा कागज के लिए K का मान 3.5 होता है। धातुओं के लिए K का मान अन्नत होता है क्योंकि आवेशों के मध्य धातु रखने पर उन आवेशो के मध्य कार्यरत बल का मान शून्य होता है।
कूलॉम के नियम का अध्यारोपण का सिद्धांत
Principle of Superposition Coulomb Law in Hindi
कूलॉम बल दो वस्तुओं के मध्य अन्योन्य क्रिया है अर्थात दो बिन्दु आवेशों के मध्य विद्युत बल अन्य आवेशों की उपस्थिति या अनुपस्थिति से स्वतंत्र होता है अतः अध्यारोपण का सिद्धान्त मान्य है। अर्थात बहुत से बिन्दु आवेशों के कारण एक आवेशित कण पर लगने वाला बल पृथक-पृथक बिन्दु आवेशों के कारण बलों के परिणामी के बराबर होता है अर्थात्
जब कई आवेशों के बीच में स्थिरवैद्युतिकी अन्योन्य क्रिया होती है तो दिए गए आवेश पर लगने वाला कुल स्थिरवैद्युतिकी बल, अन्य पृथक पृथक आवेशों के द्वारा उस आवेश पर लगाए गए बलों के सदिश योग के तुल्य होता है।
कूलाम के नियम के उपयोग
Use of coulomb law in Hindi
अगर हम कूलाम के नियम के उपयोग की बात करे तो इसके कुछ महत्वपूर्ण उपयोग इस प्रकार होते हैं –
1 . इसका उपयोग करके किन्ही दो बिंदु आवेशो के बीच लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का मान तथा उनके बीच की दूरी का मान ज्ञात किया जा सकता है |
2 . इसका उपयोग करके इलेक्ट्रिक फील्ड की गणना भी की जा सकती है |
3 . इस नियम का उपयोग Superposition Theorem के लिए भी किया जाता है जिसमे किसी एक स्थान पर उपस्थित बिंदु आवेश पर अन्य बहुत सारे आवेशो के कारण लगने वाले बल की गणना की जा सकती है |
कूलाम के नियम का महत्व
Importance of Coulomb law in Hindi
कूलाम के नियम की सहायता से हम subatomic force को आसानी से समझ सकते हैं। जैसे –
कूलाम के नियम का महत्व |
a) जो बल परमाणु के नाभिक और इलेक्ट्रॉनों के बीच कार्य करते हैं। |
b) जिन बलों से परमाणु आपस में बंध कर अणु बनाते हैं। |
c) तथा उन बलों को भी हम आसानी से समझ सकते हैं जब परमाणु और अणु आपस में बंध कर ठोस अथवा द्रव बनाते हैं। |
कूलाम का बल बहुत लंबी दूरियों से लेकर अल्प दूरियां(10^-14m) तक के लिए सत्य है। अल्प दूरियां पर बल बहुत ही अधिक हो जाता है जिसका मान कणो पर के आवेशों की प्रकृति पर निर्भर नहीं करता है। इस बल को नाभिकीय बल कहते हैं।
कूलाम का नियम से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर
Some important questions and answers related to Coulomb’s law in Hindi (FAQs)
प्रश्न :- कूलाम का नियम क्या है समझाइए?
उत्तर :- “दो बिन्दु आवेशों के बीच लगने वाला स्थिरविद्युत बल का मान उन दोनों आवेशों के गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उन आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।”
प्रश्न :- कूलॉम के नियम की सीमाएँ क्या हैं
उत्तर :- कूलॉम का नियम केवल बिंदु आवेशों (Point charges) के लिए ही सत्य है, परंतु इस नियम को विपरीत आवेशों के लिए भी समाकलन विधि (Integration method) द्वारा लागू किया जा सकता है।
प्रश्न :- कूलॉम नियम न्यूटन के गति के कौन से नियम की पालन करता है
उत्तर :- कूलॉम का नियम न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुरूप है । कार्यरत बल आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश होता है अर्थात् स्थिर विद्युत बल केन्द्रीय बल होते हैं ।
प्रश्न :- कूलाम के नियम का सदिश रूप क्या है
उत्तर :- कूलाम के नियम के अनुसार दो बिंदु आवेशों q1 व q2 के बीच लगने वाला वैद्युत बल आवेशों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है अर्थात यहाँ पर आवेशो के परिमाण |q1| एवं |q2| का प्रयोग किया गया है,
प्रश्न :- कूलाम बल और गुरुत्वाकर्षण बल में क्या अंतर है
उत्तर :- कूलॉम बल एवं गुरुत्वाकर्षण बल व्युत्क्रम – वर्ग नियम का पालन करते है। किन्तु गुरुत्वाकर्षण बल का केवल एक संकेत होता है जो हमेशा आकर्षित होता है जबकि कूलॉम बल के दोनों संकेत हो सकते है जो आकर्षित एवं प्रतिकर्षित है।
प्रश्न :- कूलाम का एस आई मात्रक क्या होता है
उत्तर :- कूलाम्ब आवेश मापने का SI मात्रक है। इसे जिसे C से दर्शाते हैं।
प्रश्न :- कूलाम प्रति सेकंड किसका मात्रक है
उत्तर :- ऐम्पियर सेकण्ड आवेश का मात्रक होता है जिसे कूलॉम कहा जाता है।
तो आपको यह पोस्ट कूलाम का नियम क्या है इसकी परिभाषा और उपयोग (Coulomb Law in Hindi) मे दी गयी जानकारी कैसा लगा कमेंट मे जरूर बताए और इस पोस्ट को लोगो के साथ शेयर भी जरूर करे,
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