आज के इस पोस्ट मे सम्राट अशोक का जीवन परिचय इतिहास History of Samrat Ashok in Hindi के बारे मे जानेगे।  

इतिहास में कुछ लोग हमेशा याद किए जाते हैं, जब भी बात भारतीय इतिहास में वीर योद्धाओ और शासको का नाम आता है,  

तो उनमे सम्राट अशोक का नाम प्रमुखता से लिया जाता है, जिसकी तुलना विश्व में किसी से नहीं की जा सकती  

वह भारत में मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक थे जिन्होंने 269 ईसापूर्व से  232 ईसापूर्व तक भारत के लगभग सभी महाद्वीपों पर शासन किया था। 

तो चलिये यहा सम्राट अशोक का इतिहास जीवन परिचय युद्ध और मृत्यु  History of Samrat Ashok in Hindi Biography Jeevan Parichay Date Of  Birth, Birth Place, Father, Mother, Wife Children, Kaling Fight, Death जानेगे 

चक्रवर्ती सम्राट अशोक (Samrat Ashok) को मौर्य वंश के सभी राज्यों में से  महान माना जाता है। सम्राट अशोक की महानता के पीछे इनके द्वारा देश और समाज  के लिए किए गए कार्य और भारत के सबसे विशाल साम्राज्य का सफलतापूर्वक शासन  करना रहा है। 

अशोक को ‘चक्रवर्ती सम्राट अशोक’ भी कहा जाता है जिसका अर्थ होता है  सम्राटों का सम्राट और यह उपाधि सम्राट अशोक को दिया गया था अशोक के अलावा  यह उपाधि भारत के अन्य किसी भी शासक को नही दिया गया है।  

सम्राट अशोक को उनके अदभुत साहस, पराक्रम, निडरता और निर्भीकता की वजह  से अशोक महान के नाम से पुकारा जाता था। 

इसके अलावा उन्हें प्रियदर्शी एवं देवानाम्प्रिय आदि नामों भी संबोधित किया  जाता था। सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में अपनी  कुशल कूटनीति का इस्तेमाल कर मौर्य सम्राज्य का विस्तार किया था। 

अशोक के शासन काल में मौर्य वंश की सीमा पूर्व में बांग्लादेश एवं पाटलिपुत्र से लेकर पश्चिम में ईरान और बलूचिस्तान था  

इतना ही नही मौर्य साम्राज्य का शासन उत्तर में हिन्दुकुश एवं तक्षशिला से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी एवं मैसूर तक फैला था। 

इन सभी जगहों को आज के वर्तमान समय से तुलना किया जाये तो यह पुरे भारत,  नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और भूटान सभी देशो पर मौर्य  राज्यवंश का शासन था जिसे अखंड भारत के रूप में जाना जाता था। 

कलिंग पर अपनी विजय के बाद उन्होंने जब उनके और उनकी सेना द्वारा नरसंहार देखा तो अपना सर पकड़ लिया  

क्योकि उनकी एक जीत ने कितने मासूम लोगो के घर ,परिवार तबाह कर दिए थे। ये  नज़ारा देखने के बाद सम्राट अशोक ने जीवन भर के लिए हिंसा को त्याग कर बौद्ध  धर्म को अपना कर हमेशा के लिए युद्द को त्याग दिया था