आज के इस पोस्ट के जरिये मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू रूल या दक्षिणहस्त नियम | Maxwell’s Corkscrew Rule or The Right Hand Thumb Rule in Hindi को जानेगे।
मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू रूल या दक्षिणहस्त नियम
Maxwell’s Corkscrew Rule or The Right Hand Thumb Rule in Hindi
इस दक्षिणहस्त नियम’ (The Right Hand Thumb Rule) जिसे ‘मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू रूल’ (Maxwell’s Corkscrew Rule) भी कहते हैं, जिसका प्रयोग प्रत्यक्ष सुचालक (Straight Conductor) के माध्यम से विद्युत धारा प्रवाह की दिशा के संबंध में चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारित करने के लिए किया जाता है। जैसे ही विद्युत धारा की दिशा बदलती है, चुंबकीय क्षेत्र की दिशा भी उलट जाती है। लंबवत निलंबित विद्युत धारावाही सुचालक (Vertically Suspended Current Carrying Conductor) में विद्युत धारा की दिशा अगर दक्षिण से उत्तर है, तो उसका चुंबकीय क्षेत्र वामावर्त दिशा में होगा।
अगर विद्युत धारा का प्रवाह उत्तर से दक्षिण की ओर है, तो चुंबकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिणावर्त होगी। अगर विद्युत धारा सुचालक को अंगूठे को सीधा रखते हुए दाएँ हाथ से पकड़ा जाए और अगर विद्युत धारा की दिशा अंगूठे की दिशा में हो, तो अन्य उँगलियों को मुड़ने की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा बताएगी। चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण कुंडली (Coil) के घुमावों की संख्या के समानुपातिक होता है। अगर कुंडली में ‘n’ घुमाव हैं, तो कुंडल के एकल मोड की स्थिति में चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण चुंबकीय क्षेत्र का ‘n’ गुना होगा।
मैक्सवेल का दक्षिण हस्त नियम
Maxwell’s Right Hand Thumb Rule in Hindi
यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अँगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो , तो हाथ की अन्य अंगुलियाँ चुंबकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।
दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार “यदि किसी विद्युत धारावाही चालक को दाहिने हाथ में कुछ इस प्रकार से पकडा जाये की अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है तो उँगलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा लो बताती है।
इसे मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम भी कहते हैं। यदि हम किसी कॉर्क स्कू को विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं तो कॉर्क स्क्रू के घूर्णन की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
संक्षेप मे दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार, यदि हम अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े हुए हैं कि हमारा अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो हमारी ऊँगलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी। इसे मैक्सवेल का कॉर्क स्क्रू नियम भी कहते हैं।
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विद्युत धारावाही वृताकार तार के कारन चुंबकीय क्षेत्र-रेखाएँ
किसी एक वृत्ताकार (लूप) चालक से विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है तो इस विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर संकेन्द्री वृत्ताकार पैटर्न के रूप में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश का हर एक बिंदु पर संकेन्द्री वृत्ताकार पैटर्न के रूप में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है अत: चालक का प्रत्येक बिन्दु एक विद्युत धारावाही सीधा चालक की तरह व्यवहार करता है।
किसी विद्युत धारावाही चालक में विधुत धारा प्रवाहित होती है तो उस चालक में उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उस चालक से दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है। अत: किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले संकेन्द्री वृत्तों का साइज चालक से दूर जाने पर निरंतर बड़ा होता जाता है। वृत्ताकार पाश के केन्द्र में वृत्तों के चाप सरल रेखा जैसे प्रतीत होने लगते हैं। इस प्रकार विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिन्दु से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ लूप के केन्द्र पर सरल रेखा जैसी प्रतीत होने लगती हैं।
उदाहरण के लिए ताँबे का एक मोटा तार लेकर उसे वृत्ताकार रूप में मोड़ देते हैं। एक गत्ते के टुकड़े को क्षैतिज रूप से व्यवस्थित करते हैं और गत्ते के टुकड़े में दो छेद कर उसमें वृत्ताकार तार को इस प्रकार पार करते हैं की तार का आधा वृत्त गत्ते के ऊपर हो और आधा नीचे। तार के खुले सिरों को एक बैटरी तथा एक स्विच से जोड़ देते हैं। गत्ते के पुरे टुकड़े पर कुछ लौह-चूर्ण (iron filings)छिड़क देते हैं।
अब स्विच को बंद कर तार में विधुत-धारा प्रवाहित करते हैं और गत्ते के टुकड़े को धीरे-धीरे थपथपाते हैं। लौह-चूर्ण दोनों तारो के चारों ओर संकेंद्रित वृत्तों में व्यवस्थित हो जाता हैं। इनमे वृतीय लूप में धारा के कारण चुम्बकीय क्षेत्र के पैटर्न का पता चलता है।
जहाँ धारा गत्ते के भीतर जाती है तथा जहाँ धारा गत्ते से बाहर आती है उनके चारों ओर कुछ दूर तक चुम्बकीय क्षेत्र-रेखाओं का प्रतिरूप वृत्तीय होता है। किन्तु धारा से दूर हटने पर क्षेत्र- रेखाओं का प्रतिरूप वृतीयता से विचलित हो जाता है। धारा के केंद्र पर तथा केंद्र के निकट और उसके दोनों ओर क्षेत्र-रेखाओं का प्रतिरूप लगभग सरलरेखीय होता हैं।
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